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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/५९३

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मावनीसैन्य-मा ५१६ है। इससे मालूम होता है, कि एक समय यह एक प्रसिद| मावा (हिं० पु०) १ पोच, मांड। २ निष्कप, सत्त । ३ प्रति। स्थान था। उस दुर्गका घेरा २ मील है और उसमें २४ ' ४ खोया। यह दुघ जो गेह यादिको भिगो कर या यशा शुजे तथा २४ प्रवेशद्वार हैं। मल कर निचोड़ने निकलता है। ६ डेफ भीतरका दुर्गके मध्यस्थमें एक प्राचीन पागोडा मौजद है। पोला रस, जरदो। ७ चन्दनका इन्द्र जिसे आधार धना उसके चारों ओर जो मकान है उनमें अमो राजाके दफ्तर पर प्रलों और गंध दृश्योंका इस उतारा जाता है।८ लगते हैं। दक्षिण भागके एक 'कोटारम में राजवंशधर मसाला, सामान । ६ हीरेकी पुकनी जिसमें मल कर रहते हैं। दुर्गफे उत्तर-पूर्व कोणमें सिरीय-ईसाइयों की। सोना चांदीको चमकाते हैं या उन पर कुंदन या जिला वासभूमि देखी जाती है। मावलीसैन्य-शिवाजी की सेनाओम एक पराकान्त युद्ध । करते हैं। १० यह गाढ़ा लमदार सुगंधित कर जिसे विशारद सेनादल। इनके अदम्य प्रतापसे औरङ्गजेत्रके । तमाफूमें डाल कर उसे सुगधित करते हैं बार। सुशिक्षित मुसलमान सैनिकोंने कई बार रणक्षेत्र में पोट मायासो (हि० स्त्री० ) मवानी देखा। दिखाई थी। ये शब्दभेदी वाण चलाते थे। तलवारको माघेल्यक (सं० पु०) जातिविशेर । युद्ध में भी ये बड़े दक्ष थे। सन् १६७००के फरवरी माश (हि० पु.) माप देखो। महीने में शिवाजीकी आशास तानोजी मालधोने अपने माशब्दिक (सं०वि०) माइत्यादति (प्राग्य सेवक । पा फनिष्ठ भाई सूर्याजीको सहयोगितास १००० सुशिक्षित ४४१ ) इत्यत्र तदाहेति मा नन्दादिभ्य उपसंख्यानमिति मावली-सैन्य ले सिंहगढ़क दुर्मेध दुर्ग पर चढ़ाई की थी।' पार्तिकोक्तत्वात् माशम्द ठक । निषेधा , मना करने. सूर्याजीके अधीन कुछ सैनिकोंकोरन उन्होंने याको सैनिकों वाला। को ले कर संध्याके अन्धकारमें दुर्गको ओर याना माशा (हि. पु० ) एक प्रकारका बाट या मान । इसका की। यह किला पहाड़ पर अवस्थित था। तानोजीको । व्यवहार सोने, चांदी, रत्नों .और भोपधियों के तौलने में सेमा रस्सीको पनी सीढ़ियोंसे उस अशात मीर । होता है। यह आठ रत्तीफे यरायर और एक तोलेका अन्धकारपूर्ण पहाड़ी पर चढ़ने लगी । फेवल ३००' बारहयां भाग होता है। सैनिक ही ऊपर चढ़ चुके थे। ऐसे समय सिंहगढ़ माशी (हि० पु.) १एक प्रकारका रंग। यह पालापन पहरेदारों ने इन्हें देख लिया और ये मशाल जला कर घ मशाल जला कर लिये हरा होता है ! कपड़े पर यह रंग कई पदामि रंगने. युद्धके लिये आगे पढ़े। तानोजी भन्य उपाय न देख से आता है। इनमें का पानी, फसीस, हलदी और उन्हों ३०० सैनिकों को ले कर हा भीमवेगसे फिले पर : अनारको छाल प्रधान है। इनमें रंगे जाने के बाद पहे. टूट पड़े । किन्तु तानोजीके युद्धमें काम आनेके बाद उनकी को फिटकरीको पानी में दवाना पडता है। २ जमीनको मापलीसैन्य भाग खड़ी हुई और रस्सोको सीढ़ीसे नोचे । | एक नाप जो २४० वर्गगजको होती है । (लि०) ३ उद. उतरने लगी। ऐसे समय सूर्याजो अपने सैनिकोंको ले । के रंगका, कालापन लिपे हरे रंगका । कर कर यहां पहुंच गये और अपनी भागता हुई सैन्यको. मानक ( म० पु.) यह जिसके साथ मेम किया जाय, उत्साहित करने लगे। सैनिकोंने दूसरे सेनापतिको देख प्रेमपान। सपूर्व उत्साहसे 'हर हर यम यम'. शदास माशको (फा० नी.)माशूरू होनेशा मात्र, प्रेमपावता ! निस्तम्घ गगनको गूज कर दिया और अदम्य उत्साहस । मा (सं००) मापस्य फलम्।माप मण (लुग्च पाRRE) फिले पर माममण किया। यह देस राजपूत-सैनिक! तितर-बितर हो गये। फिले पर सूर्यानोका अधिकार इत्यस्य फलपाक शुपामुपसण्यानमिनि कानि हो गपा। इस युद्ध में ३०० मायली और ४०० राजपूत पोकरणोलुप : अपया मस-यम् पृगेदरादित्याय साधुः । मारे गपे। सूर्याजीने शिवाजी पास इस मानन्दको १ प्रोदिभेद, उपद । संस्थत पाय-सुविन्द, धान्ययोर, समाचार मेजा। इसी युदस इनका नाम हुमा। । पाकर, मामल, यलाट य, पित्रा, पितृमोजन। इसका