पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/६०३

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पाहिम-माहिपिक ५३१ छारे छोटे पहाड़ोंसे भरा है। यहां तक कि, कहीं कहीं माहिर (अ० वि०) तत्त्वा, जानकार। उपकूलसे दो मील तक यह जलमें विस्तृत देखा जाता है। माहिप (सनि०) १#सका दूध आदि। २ महिप- ... १३१५६०में दिल्लीके पठान राजाओंने इस स्थान सम्बन्धी। परं अधिकार जमाया। पीछे यह गुजरातके मुसलमान माहिपक ( स० पु०) १ महिपचारी गोप, मैंस चराने. शानक के हाथ लगा।१५३२६०में पुर्तगीजोंने उनसे | वाला ग्वाला । २ एक प्राचीन देशका नाम | उस देश- छीन लिया। १६१२६०में मुगल-बादशाह जहांगीरके में रहनेवाली एक जातिका नाम । विरुद्ध माहिमवासोने यमसान युद्ध कर आत्म-रक्षा माहिपघृत (स० को०) महिपीझोरजान घृत, मैं सका घो। की थी। । यह घो तीक्ष्ण, भस्मकादि रोगमें हितकर पातश्लेम. माहिम-पाय प्रदेशके रोहतक जिले के अन्तर्गत एक ! नाराक, पलकर, वर्णकर, अर्मा और ग्रहणोनाशक, दीपन प्राचीन नगर। यह अक्षा० २८ ५८ उ० तथा देशा० तथा चक्षु का हितकर माना गया है। ७६१८ पू०के मध्य अवस्थित है। जनसंख्या ८ हजार• माहिपदधि (सं०क्लो० ) महिपा-दुग्धरत दधि, भैसका के करीब है। नगर अभी टूट फूट गया है। खंडहरके । दही। यह दही बड़ा स्वादिष्ट होता है। गुण-मधुर, निदर्शनोंको गालोचना करनेसे मालूम होता है, कि एक स्निग्ध, रकपित्तन, श्लेमवईफ, दल और शोणित. समय यह नगर बहुत समृदिशाली था। मुसलमानी। यर्द्धक, वृष्य, श्रमघ्न, शोधन । आक्रमणके बहुत पहले यह.वसाया गया था। शाहयुहीन माहिपनवनीत (सं० सी०) मदिपी-युग्धज्ञात नमनीत, घोरोने भारतको चदाईके समय इसे तहस नहस कर मैं सफे दूधसे निकला हुमा मफानन । गुण-कापाय, दिया। १२२६ ई०में पेशवा नामक किसी वनियेने इस. मधुर, शीतल, वृष्य, बलकर, प्रादी, पिसनानक पीर फा पुनःसंस्कार किया। मुगल बादशाह अकबर शाहने पुष्टिप्रद । यह नगर शाह्याज खाँ नामक एक अफगानको जागोर- : माहिपमून (सी०) महिएतल, मैं सका मूत । गुण- रूप दे दिया था। उसके घंशधरोंके यत्नसे नगरकी। कटु उण, मानाद, शोष, गुलम, कुछ, कण्डति, शल गौर बहुत उन्नति हुई थी। । उदररोग नाशक। __सम्राट भोरङ्गजेयके जमानेमें दुर्गादास नामक एक माहिषयटरी ( स० स्त्री० ) कृष्णवृद्धवारक, काला राजपूत-सरदारने सम्राटके विगद्ध युद्ध कर इस नगरको । यिधारा। लूटा था। पीछे जब फिर आयादी हुई तव पाणिज्यको मादिषयलिका (सं० स्रो०) श्वेतपद्धदारक, सफेद विधारा। पहले सी उन्नति होने न पाई । 'माहिपवली ( स० सी०) मधु सोमलता, छिरदटी। मनार शाहजहाँके राजदएडधारी संदुकलालने १५२६ : माहिपस्थली (स० स्त्री०) एक प्राचीन नगरका नाम । मैं यहां जो सोढ़ी लगा हुआ एक विस्तृत जलाशय , माहिपाश (स.पु०) मादिपाक्ष गुग्गुल, भै'सा गुग्गुल । खुदवाया था यद इसकी प्राचीन कोत्तिका दूसरा निद मादिपिक (स.पु०) महिल्यै रोचतेऽसौ मदियो ठक। गंन है। भलाया इसके ध्यसायशिष्ट कुछ मशवरे और १ महिपोपति, व्यभिचारिणी स्नीका पति, गह स्यामी को प्राचीन मसजिद तथा नगरपेष्टित प्राचीर इसके अतीत : व्यभिचारिणी खो पर अनुरना हो। गौरवका परिचय देता है। "मरिषीत्युच्यते नारी या च स्यादन्यभिचारिणी। माधियत ( म० सी०) । तस्य, भेद । २ प्रति । ३ यिय.' तो मुष्टा कामपति या म चै मारिरिकः स्मृतः ॥" नाहियाना (फा० वि०) १ माइयार । (३०)२ मासिक (स्कान्द फायी) घेतन। २ मदिपोपनीयी, मैं ससे जीयिका निर्याद करने- माहिर (स.पु.) मनसे पूज्यतेऽसी मह-पालकात वाला व्यक्ति । महिपां नारी पणमस्येति महिषी (सरस्य रामा । पपय। पा४४४५३) इति ठक। ३ भग द्वारा उपार्जित