मिण्टो ' 'मराठा युद्धके वाद राजा रणजित्सिंहने अपना , डेण्ट मि० मेटनने इसके लिए अकवरका तिरस्कार किया। प्रभुत्व विस्तार करने लगे और कौशलसं शतद्र के । इस पर अकवरने मि० मेण्ट पर गोली दाग दी। किंतु पश्चिमी तट पर अपना राज्यविस्तार करनेका सुयोग लक्षाभ्रष्ट होनेसे अकबरका वार खाली गया। मिस्टर खोज रहे थे। इसी समय पतिगाला नरेशकी मृत्यु हो मेण्टने भाग कर अपने प्राणको रक्षा को। इस घटनासे गई। नाभाने चाहा, कि पतियालाका राज्य अपहरण अङ्गरेजी सेनाने जा कर मिर्जा जहाँगीर और कर लें। पतियालाकी रानीने रणजिसिंहकी सहा- , अकबरको कैद कर इलाहाबादके जेलमें भेज दिया। यताको प्रार्थना को। इसके अनुसार राजा रणजित् यहां वे ७६५०० २० मासिक वृत्ति पाने लगे। सिंह शतद्र, हो कर अन्यान्य सिष राज्यों पर आक्रमण। इस समय सुप्रसिद्ध फ्रान्सीसी वीर नेपोलियन किया । इन सभी सिख-राज्योंने वाहरसे अगरेजोंको योनापार्टने अपने सौर्य प्रभावसे समस्त यूरोपखण्डको अधीनता खोकार कर ली थी। इन्होंने दिल्लोके रेसिडेण्टसे, जीत कर अगरेजोंके हृदयमें भयका संचार कर दिया। सहायता मांगी। अङ्गारेज रेजिएटने लाई मिएटोको सूचना लाई मिण्टोने विशेषरूपसे विचलित हो कर सिन्धु दी। मिण्टो रणजित्के बल पराक्रमको अच्छी तरह। देश, काबुल और पारस्यसे मिलता स्थापित करनेके जाते थे। इसलिये मिलमापसे मिष्टर मेटकाफको । लिये तीन दूतॊको वहां भेजा। मिष्टर हेडिस्मिथ सिंधु- दूत बना कर रणजित् सिंहके यहां भेजा | मेटकाफने । देशके अमोरोंके यहां वाणिज्य-विषयक मित्रता स्थापित राजा रणजित्सिंहसे संधिको प्रार्थना की। रणजिसिंहने करने के लिये भेजे गये । अमीरोंने सन् १८०६ में यमनाके किनारे तक अपने राज्यकी सीमा पतला कर | स्वीं अगस्तको यद कह फर सन्धिपत्र पर हस्ताक्षर कर दावा किया। मेटकाफने इसे खोकार न किया और दिया, कि अंग्रेजोंकी सोमाकी रक्षा करेंगे । किन्तु शतद्र, नदीके किनारे तक अगरेजोंकी सीमा यतलाई।। उन्होंने फच्छ-विजय करनेके लिये अगरेजों की सहायता इस पर रणजिसिंहने अङ्गरेजोंके राज्य पर आक्रमण चाही । किन्तु गगरेजो के मदद न देने पर अमीर करनेकी धमकी दी। अङ्गरेज भी अफरलोनीकी अधीनता सन्धिके नियमों के पालनमें आनाकानी करने लगे.। में एक फौज और सेण्ट लेजरकी अधीनतामें दूसरी फौज ___माउएट स्टुवार्ट एलफिन्स्टन बहुत बहुमूल्य उपढ़ी- ले कर यमुना पार हो लुधियाना राज्यमें घुस जानेका फन ले कर कावुलके अमोर सुजा उल-मुल्कके उपाय बोजने लगे। पास पहुंचे। इन्हों ने फ्रान्सीसियों को सहाय्य न देने- ____ इसके बाद रणजिसिंहने अगरेजों द्वारा एक यग्नो 1 की बात कबूल करवा कर काबुल के अमीरसे सन्धि कर और एक जोड़ो सुन्दर घोड़े पा कर अङ्गरेजोंके साथ ली। किन्तु इस सन्धिसे कुछ फल नहीं हुआ। सन्धि को और शतद् तीर तक अगरेजोंकी राज्य सीमा.. पलिफिन्स्टन किसी तरह प्राण लेकर वहांसे भागे। को स्वीकार किया। राजा रणजिसिंहके पास एक कावुलियों ने उनके पैरके मोजेसे लेकर घोड़े का साज तक लाप सुशिक्षित रणविशारत सेना थी । सन् १८०६ ई०में | छीन लिया। राहमें डाकुओ'ने यचो खुची चिजी- दिल्लोके सम्राट शाह आलमको मृत्यु होनेसे . उनके पुत्र को भी छीन लिया । एलफिन्स्टनको अमीरके होरे- श्य भकयर नाम रख कर सिंहासन पर बैठे। विलुप्त | से खचित सिंहासनको देख कर बड़ा विस्मय हुआ था। मुगल-वैभवकी पूर्व स्मृति उदित होनेसे वे धीरे धोरे अगरेजों की निन्दा कर फान्सीसी दूत गाने (Gar- . अगरेजों के प्रनि असन्तोप प्रकट करने लगे। अकवरके | danne ) फारसके दरवारमें प्राधान्य लाम किया था। .तृतीय,पुत्र मिर्जा प्रहांगोर, ज्येष्ठ पुनको उत्तराधिकारी न इसलिये डर कर अगरेज पहले सर जान मानकम और मान कर स्वाधीनतापूर्वपः सिंहासन लाभका सुअवसर सर हारफाड जोनसको नाना तरहके उपढीकनादिके साथ दृढ़ रहे थे । यमयर भी तोसरो थेगममें अधिक प्रेम होने दूतके रूपमें भेजा। किन्तु वे दोनों अकृतकार्य हो कर के कारण उनका पक्ष समर्थन करने लगे। अङ्करेज रेसि- लौट आये।.
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