पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/६५२

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५८२ मिर्जापुर है और यौर समयके पहले म्यापत्य शिल्पका परिनय मिलालेप १५८६६०में की राजलक्ष्मणय समयका - युदा हुआ है। इससे साफ मालूम होता है, कि राठौर- ___ प्रतिमा पोले आज ना पत्रों पुष्पोंसे लदा हुमा एक बंशी कनोजराज अपचन्दफे मुमलमानो से हारने तीन रक्ष यसमान है । मिहामनके नीचे एक सिंहको मृत्ति है। वर्ष बाद यह गिलालिपि लिनो गई थी। उस समय , प्रतिमा पायें और दाहिने मात मग्रीको मृत्तियां हैं। दो, · मुसलमान लोग कमीजको यास्तविक स्वाधीनताको नहीं आकाशमे उड़ती अयस्यायो युदे हुए चिव हैं और शेष छीन सफे थे। ५ मूर्तियां दोनों ओर बढ़ी हैं। यहां के लोग इन्हें यहांसे कई कोम पूरव यातसे चौगुटे, स्मारक मंकटरादेयी कहते हैं। निहमका कहना है, कि यह स्तम्भ हैं । उगसे उस समयकी सामाजिक पद्धतिका बहुत पाठोदेवों की प्रतिमा है। डायर फरर भी कहते हैं यह कुछ पता चलता है। कई स्तम्भों पर ली और पुपर मम्मयत: मदापोरनाथको माता खिशलाको प्रतिमा एक दूसरेका हाथ पकड़े प हैं तथा कहीं कदी' पोयल हो सकती है। । नियां ही योणा वातो दुई तरह तरहसे मानती हैं। फर इसे छोड़ और भी अनेक स्थाना में प्राचीन कौतिके' कही यश समयके पशु वधका चित्र पर्तमान है। कितने ग्बएडहर है । माधेयर पर्वत पर एक दुर्भे गढ़का' ही स्तम्मी पर घराह और नरसिंह अवतारकी धनेर निदर्शन है। उसके चारों ओर बहुतसे गहर मौजूद . घटनागों का चित्र मकिन है। कही गोपियां ददो मश है। यहाफ बोल उसमें उतरने का साहस नहीं करते। रही हैं। अनेक स्तम्भोंगर तुमानका शरीर अकित कहा जाता है, कि विजयपुरके एक राजा एक गहरण है। कहीं भैसे पर नही हुई महिषासुर मर्दिनीको टूटी मोहीमे उतरे थे। उममें पार्यतीको एक प्रतिमा है। प्रतिमा है। पश्चिमो विद्वान कहते हैं कि ये सब शिल्प भाधेयरका पदा-गढ़ कालअर और अजयगढ़के कीर्तियां शयर राजाओ राज्यकाला रची गई थी। समान सुरक्षित है और लोगों का उस पर चढ़ना कठिन। अष्टभुश नामक स्थानमें सप्टमुजादेयो और पर्यतीकी है। गर्दा नदी इमसे थोड़ी दूरी पर यहती है। उसी ' पातेरो प्रतिमायें पाई जाती है। इस स्थानमें सीता. मदीफे नाम पर गढ़ और पतफे नाम रपाये गये हैं। कुएड नामका एक गरम झरना है। मिर्जापुर जिले में अयया यहांके गदेश्वर शिधको मूर्तिफे नाम पर गढ़का। इस प्रकार प्राचीन कीर्तियों के अनेक चिह अनेक स्थानों में नाम पदा होगा। रेहन्द और गोनफे सङ्गम पर यालंद राजवंशको राज २ उक्त जिलेको पश्चिमी तहसील। यह उपराध, पानीका खाएर दौरा पड़ता है। पहले यह राजधानी ! चौरासी, छियानये और फान्तिरा परगनेका कोन, काशीफे समान थी। पुराने गढ़ा पएडारों योन एक। तथा कसयार परगनेका तालुक मझया ले कर बना हुई स्थानम यमान गढ़ बनाया गया है। उसमें जो पारसी : है। यह मक्षा० २४०३६ से २५ १७३० और देशा० गार है उसे पढ़नेमे मालूम होता है, कि रामा मदन : ८२७ मे ८२° ५० पू०के योग भयस्थित है। इसमें । शादफे भाई माधयसिंहने १६६में यह गठ बनयापा ६४ गय तथा शहर दिगते हैं। इसका रफदा १९८५ था। बलवन्तसिंएक समय इस गद और विजयगढ यर्गमील है। इसकी भाषादी करीव मया तीन लारा दोनों की मरम्मत हुयी। लोग कहा कि चालन्द है। परपक यर्गमील की पावादी २८१ है। सहमीलका रामामों को माशासे भागने यह गठबनाया था। वधा दिस्मा गंगाके दक्षिण ६। गंगा इम भागकी इमसे कुछ दक्षिण येसबाग गायफे मैदान में एक - उत्तर्ग सोमा । भराएप इसका अधिकांश भाग यिरध्या. स्मारक ग्नम्मद उमफे ऊपर एक गणेश मनि और ! चलकी अधित्यकामै पाता है। इसकी पक्षिणी भाग रा नदीमे मीचा जाता है। दक्षिण पश्चिमी सीमा मौगोदी हुई दो मिनालिपियां। नदी मिला , पारदमूर पहादियां अधित्यका पर पकाएक उठी लिप मग पक्षी और घोट.चित हैं। अारका: है।