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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/६५५

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पिल (जान टुअर्ट) ५८५ शिक्षक बन बैठे।। १४ वर्षकी · अवस्थामें ये यूनानी, किया था। पीछे प्रोट, चार्लस अष्टिन आदि पण्डित. लेटिन और अंगरेजी भाषाके व्याकरण, साहित्य, मण्डलीक साथ मिलकी घनिष्टता उत्पन्न हुई। मिल काय, अलङ्कार, इतिहास, विज्ञान और दर्शन आदि । इतने दिनों तक घरमें ही अध्ययन करते आये थे, किन्तु शास्त्रोको पढ़ कर वृहत् ज्ञानरक्षको ऊची शाखा पर चढ़ अब उन्होंने समाजके विद्वानों के साथ सम्मिलित हो कर • गये। घे कभी स्कूल नहीं गये और न पिताके सिवा नये जीवनमें प्रवेश किया। किन्तु सभी अवस्था किसी अन्य शिक्षकके पास ही पढ़े। क्रियानुशोलन उनका स्थिर लक्ष्य रहा। · · । शिक्षा सम्पूर्ण कर मिल देशपर्यटन करने निकले। कार्यक्षेत्र और ग्रन्थावली। पिताने पुनको उपदेश दिया,-"भ्रमण करने पर तुम , प्रगाढ़ पाण्डित्य प्राप्त कर मिलको इलाका काम नाना देशोंको देखोगे, तुमको दिखाई देगा, कि तुम्हारी करना पड़ा था। जगत्मे सर्वत्र ही शिक्षा कार्यका उनके लड़के तुमसे बहुत पीछे हैं। यह देख कर तुम यह वैषम्य दिखाई देता है। सन् १८२३ ई०में अपनी अभिमान मत करना । फिर विद्यालोचनासे कभी विरत ) १७ वर्षकी अवस्थामै मिल इट-इण्डिया कम्पनीके 'भी न होना, क्योंकि शास्त्र अनन्त और चेदितव्य-विषय अधीन लेखक विभागमे कर्मचारी नियुक्त हुए। पीछे सन् ., की सीमा नहीं है। १८३७ ई०में देशीय सामन्त राजाओं म. साथ एनादि • . भ्रमण और विद्वज्जन सम्मेलन । लिखनेके कार्य में नियुक्त हुए। फिर इसके बाद उन्होंने मिल पहलेसे हो भ्रमणप्रिय थे। लण्डनमें जन्म लेने कम्पनीके परीक्षा विभागकै सर्याध्यक्षका पद प्राप्त किया। पर भी ये कभी कभी शस्यश्यामल पृथ्वीको शोभा देखनेके। किन्तु वे यह काम अधिक दिनों तक कर न सके। लिये थाहर गांवोंम निकल जाते थे। इस समय सन् १८१३ सन् १८५८ ई०में इष्ट इण्डिया कम्पनीका राजत्यकाल ईमें पिताके मिन्न सुप्रसिद्ध बेन्थामके साथ मिलने समाप्त होने के साथ साथ उनकी नौकरीका भी अन्त अपसफोर्ड, वाथ, विष्टल, लामाउथ आदि नगरोंका परि- उपस्थित हुआ। जव महारानी विकोरियाने भारतका भ्रमण कर नाना उपदेश लाभ किये। इस समयसे | शासन भार अपने हाथों लिया, तव मिलने तीवभावसे मिल वेन्थमके साथ सालमें ६ महीने एक साथ रहते उसका प्रतिवाद किया था। इसके विपयमे उनका मत 'थे। इंग्लैण्डके नाना स्थानोंका परिभ्रमण कर मिल यह था-"भारतवासियोंके प्रति अत्याचार करनेसे चेन्थमके साथ फ्रान्स गये। उन्होंने फ्रान्सको पिरेनिस पार्लियामेण्ट उसका प्रतिविधान कर सकती है। किन्तु •पाचत्य-उपत्यकामें रह कर जड़ प्रतिके अद्भुन सौंदर्य । महारानाकं प्रतिनिधि यदि भारतवासियों के प्रति अत्याचार का अवलोकन किया। यहां चे फ्रान्सीसी भाषा करेंगे तो निश्चप है, कि उन्हें अभियुक्त करने का किसी. ! सीख कर उक्त भाषाफे विज्ञान, दर्शन और साहित्यका का मो साहस नहीं होगा। उन्होंने रानीके अधीन कार्य • अध्ययन करने लगे। फ्रान्सके विद्वानोंसे भैर कर नाना पा कर उसे करना अखोकार कर दिया। मिलको भविष्य- तरहक उपदेश लाम करने लगे। एक वर्ष यहां रह द्वाणोने जो वड़ो सफलता प्राप्त की है सम्भव है, कि जानके बाद यहाँके प्रसिद्ध दाशनिक सेएट साइमनके | उससे शिक्षित भारतवासो सभी अवगत है। .. साथ उनकी मित्रता हुई। इस समय उनके हृदय में मिल सन् १८६५ ई०में मजदूर-दलफे प्रतिनिधि हो '. स्वाधीन चिन्ताको लहर लहराने लगो। । कर पार्लियामेएट के सदस्य हुए। उन्होंने सर्वसाधा. .. वेन्यम, ह्य म, रिकाडौं आदि महामहोपाध्याय जेम्स रणके हितके लिये पार्लियामेएट में कई यक्तृताय दी थी। . मिलके मित्र थे। मिलने अपने पिताके मित्रोंको उनके समयमें ही रिफार्मविल ( Relorm bill).या • पुस्तकोंको पढ़ने और कथोपकथनसे अपनी शैशवावस्था संस्कार आईन राजविधिर्म परिणत हुआ था। मिलने । से ही उनके दिखाये पथ पर चलने सीखा था। इनमें पार्लियामेएटमें स्त्री-प्रतिनिधि भेजनेका प्रस्ताव दिया था, वेन्यमकी नीतिने ही उनके निन्ता-केन्द्रको स्थापित किन्तु यह प्रस्ताव उस समर कार्यरूपगें परिणत नहीं Vol. XVII, 147