६२ मोनक-मीना मुग, मध्यापक, माननीय, धनी मोर उत्तम माग्ययुक्त, : विद् कनिहम उलुघ और आयुरिहन (अलयेरुणी ) दनि देपने पर राजा या राजसहन, मन्त्री अथया यादिका मतानुसरण कर २६४० उ० अक्षा में इसका मेनानायक और मर्यापद विहीन, शनिफे देखने पर स्थान निर्णय फर गपे है। उनके मतसे पेरिप्लस-पर्णित पनप्रिय, सुशील और सर्य मम्पयुक्त होता है। राहु- यदु झारेजाको राजधानो समी-नगर (सेहस्तान) नया प्राजिम प्राके माय रहते है. फल उसी प्रहके अनुसार ठालेकजान्दरके शत्रु साम्बुसको राजधानी शाम्यनगर मीन. होता है। विशेषतः गहु मोन शुभ फलप्रद नहीं होते। नगरका मस्तित्वसूचक है। पेरिस मलयेरुणी, भारियन रमो प्राय अशुभ फल दी हुआ करता है। टटेमी, पद्रिसो, दिएनभोले, दिला रोयेट आदिने इस (वृहज्जातक और कोटोप्र.)। स्थानकी प्राचीनताका प्रमाण दिया है। ४ दशावतारक मा प्रथमावतार, मत्स्यावतार । मीननाथ (स० पु.) १ गोरखनाथफे गुरु मत्स्पेन्द्रनाथका "शेने स चितरायने मम मीन कर्मा- एक नाम । मत्स्येन्द्रनाथ देखो । २ स्मरदीपिकाफे फोलोगयत् गृहरियामननामदम्य । प्रणेता। योऽभूदाय भरताप्रकल्पायुद्धः मीननेता (सं० जी०) मोमस्य नेताफारा प्रन्धिरस्या! पस्की Hara भविता प्रहारिष्यतरीन ॥" गएडदूर्या, गाडर दूध। (मुग्धयोधण्या०) मोनपित्त (सी० ) फुटको नामफ गोपधि । तन्त्रक मतसे मोन दी धूमायती है। मीनर (सपु०) मीना भक्षात्वेन सन्त्यस्य, मीन "कृपापा काप्तिका स्पानामरूपा च सारियो । आध्यादित्यात र, (पुम् घणकठजिलेति । पा ४२050 ) यगता क मानः स्यान्गीनो धूमावती भवेत्॥" शाम्बोट पक्ष, सिहोरा। (मुपहमानातन्य) मोगर (सं० पु०) मोनरङ्ग-पोदरादित्वात् साधु। मौन । सं० ० ) नयनाअनविशेर, एक तरदका सुरमा गरस्याशन पक्षी, मरंग नामक पक्षी जो मछली माता मीनकास (संपु०) शुभ करवीर, सफेद फनेर। । । २ जलकाक, जलकीया, मुरगावो. मोनकेतन (स० पु. मोनः फेतनमस्य । १ फन्दप, मीनाग (मं० पु० ) मीनरस देखा। कामदेव ।२ सापाद्विर्णित एक रामा। ३ एक पाण्डा. मीनरथ (सं० पु०) जनवंशीय राजा भगेनाके एक पुर- राज । पापभाजपश देखो। का नाम। मोनगामा (स. खो०) मत्स्यगन्धा, सत्ययती। मीमराज (सं० पु०) १ मत्स्पराज । २ गातकमणेता मीनगोधिका (सखो०) मीनगोधिकानामावासोऽत्र । एक प्रसिद्ध ज्योतिर्यिद। ये ययनेयर नामसे प्रसिद्ध थे। जलाशय, तलाय या झील धादि। मौनयन् (सं० वि०) मत्स्यमय, जिसमें यात मरती हो। मौनपाती (संपु०) मीनं हन्तोति हन-णिनि । १ वक, मीना (से० सी०) ऊपाको कन्याका माग जिसका विपाह थगला। (लि०) २ मत्स्यघातक, महलो मारनेवाला। कपसे हुआ था। मीननगर-पसायप्रदेशका एक प्राचीन जनपद और उसको "पापास्नु प्रथयामि सर्ग पर मुनामतः। । राजधानी । यह सिंधुनदफे किनारे यां गौरशासाफ किनारे मोना मना सया गृता भरना हो । बसाधा था। पार्थिय-राजगत पदांका शासन करने परिवृत्ता च विशेया तामाय गुत प्रमाः ". थे।यपि इस नगरफा कोई यर्तमान निदर्शन नहीं मिलता (भग्न्युि .) सो भो विभिन्न देशीय सुप्रानीन इतिहासमि इमको मीना-राजपूतानेकी एक युवप्रिय जातिका नाम । इति. महिका विशेष उलेप देने में माना है। दाममे गे मेमो, मेयानी, मीन, मीना मेनो भादि गामोसे पतीफा मालमनमुरके सेनापनि भोमरने सिन्धुको परिचित है। प्राचीन मेयान (मौनयती में रहने मोत कर इस नगरका मनमुरा नाम रखा पा । प्रातत्त्व के कारण इन ऐसे नाम पड़े है। आज कल जपपुर ।
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