मोना -राज्यके अजमेरसे दिल्ली तक समूचं राजपूनाने में इनका | मालूम होता है, कि मेमो और मीना जातियों में प्रचलित वास पाया जाता है। शेम्नावतीके पूरव पहाड़ी जमीन विवाहसम्बन्ध इस विवाह के बादसे ही बंद हो गया तथा .ही इन लोगोंका प्रधान अड्डा है। यहां ये लुक छिप पहलेके विवाहको आलोचनासे अनुमान होता है, कि कर. चोरी और डकैतो करते हैं। यहां ये २५ मीना और मेमो पहले एक ही शाखाके अन्तर्गत थे मीलके घेरेमें जहां ये रहते हैं वह स्थान राजाओंके पोछे सामाजिक उन्नति और अवनतिके कारण ये राज्यमें है। जयपुरगजके अधिकारमें शेखावतो राज्य ; अलग अलग हो गए है। जाति-विद्याविशारद इन , और झालरापाटनके कुछ अंश हैं। क्षत्रि.जका अधि. लोगोंको लिनि-पर्णित सिन्धु नदीसे यमुना तीर तक कृत कुलपुत्तो नामक स्थान आज कल अमेज-सरकारके / यसनेवाली Megallae (मोगाली) जाति यतलाते हैं। अधीन है। इनके अलावा दद्रिस मिद्, नूरनौलसे मीना और मेमो लोगोंमें भाज कल कोई मम्पर्क है, पतियाला, कान्तिसे नामाकं वोच तथा अलवर, लोहरू, ) या नहीं, इस विषयका विचार न कर वर्तमान समयमें • योकानेर और गुरगांव जिलेके शाहजहानपुरमें मोना- दोनों जातियोंमे किस तरहको सामाजिक रीति नीति जातिके लोग बसे हुए हैं। मिरासि नामक भार लोग) प्रचलित है, नोचे उसीका विवरण दिया जाता है--
- इनको विवाह-समाओमें जो वंशमहिमा गाते हैं उससे मेओ लोग अपनेको राजपूत कहते हैं। इन लोगोंमें
मालूम होता है, कि सम्राट अकबर के प्रसिद्ध राजनैतिक, १३ पाल या दल तथा ५२ गोव पाये जाते हैं। डाफर टोडरमलके साथ मोना-सरदार वादराबको दोस्ती थो। कनिंगहमके मतसे ये दल इस प्रकार हैं:- , इस दोस्तीकी बदौलत टोडरमल के लड़के दरिया खां मेओन ४ यादोन-छिर्किलार, दलात, दमरोत, नाई और के साथ बादरायकी लड़को शशिवदनीका विवाह हुआ। पडलोत। ५तोमर-बलोत, धारवाड़, कलेसा, लुन्दा. वारतके लोग चादरायके घर माना लोगोंके साथ मांस वत और रक्तावत । १ कछवाहो-दिंगल, १ वड़गूजर- मछली खानेको राजी न हुए । अतपत्र दोनों पक्षों में विवाद | सिंगल, अद्ध मिश्र--पलाकड़ा। चला। इस कारण विवाह के बाद मेओ लोग राजधानी | मर्दुमशुमारीसे मालूम होता है, कि वर्तमान हिन्दू मेमो अजानगढ़ (अञ्जनगढ़ ) लौट आये। रानो शशिरदनी लोगोंको ६७ तथा मुसलमान मेो लोगोंकी ४७ मिन्न अपने मैके होमें रही। मिन्न शाखाये हैं। हिन्दू मेओ लोगोंमें बड़गूजर, हर, शशियदनीने युवावस्था प्राप्त होने पर अपने पतिको जनवार, वानपुरिया, रघुवंशी, चन्देला, चाहमान, गह- पत्र लिखा। अतएव वे अपना स्त्रोको लिवाने ससुराल लोत, यादन, कछवाहा, रावत, तोमर और रटीरिया आदि • माये । . वादुराधने जमाईको खूब खातिरदारो को राजपूत जातियोंका सम्मिश्रण पाया जाता है। माध इस बार भो ससुर जमाईमें मदिरा पीते पोते नशके | साथ भाट, दकौत, गदारिया, घोसी, गूजर, गुमाल, • कारण विवाद चला। दरिया खाने क्रोधसे पागल हो गुलाहा, करिया, कोरि, नाई और रंगरेज आदि जातियां
- अपने ससुरका एक दांत तोड़ डाला। सरदारके इस भी आ कर इनमें मिल गई हैं।
अपमान पर मोना लोग दरिया खांके प्राण लेनेको उतारू परिहार शाखाके मोना लोग हरवतोके अन्तर्गत दुप। यह देख शशिवनीफे भाईने दरिया खांको आंगन- खेवार नामक स्थानमें रहते हैं। ये लोग अपनेको परि- में छिपा रपसारात दरिया खां अपनो स्त्रोफे साथ हारराज नाहरसिंहके पुन सोमके घंशधर बतलाते हैं। अपने देशको चल पड़े। मीना लोगोंने उनका पोछा किंवदन्ती है, कि राजकुमार सोमने मोनाकी कन्याको दिया, लेकिन उन्हें पकड़ न सके। प्याहा था। उन्होंके वंशमें परिहार माना जातिको अजानगढ़में आज तक भो इस बंशावलीको मिरासि उत्पत्ति हुई। 'लोग प्रत्येक विवादके अवसर पर गाते हैं। अगर मोना लोग ही मेवाड़ और मारवाड़के आदिम • इस किस्सेके अन्दर कोई सत्य न हो, तो भी इससे निवासी हैं। राजपून लोगोंने वहां आ कर इन्हें मार Vol. xP11, 159