पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/७६७

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मीरपुर धतोरा-पारमन्नू ६॥ तथा देशा० ६६ ३ पू०फे. मध्य हैदराबादसे अमर । मौरभुयड़ी (फा० पु०) एक कल्पित पोर। इसे होजड़े कोट जानेके रास्ते पर अवस्थित है। १८०६ ई में मौर। अपना आदिपुरुप और आचार्य मानते हैं। दीजड़े अली मुराद तालपुरनं इस नगरको स्थापित किया। इसी वंशके अपनेको वतलाते हैं। कहते हैं, कि ये पोर यह स्थान अनाज और रुईके याणिज्यके लिये प्रसिद्ध | स्त्रियोंके येगमें रहते, चरखा कात कर अपना गुजारा है। १९०६ ईमें म्युनिस्पलिटो स्थापित हुई हैं। शहरमें | चलाते और छः महीने स्त्री तथा छः महीने पुरुष रहा एक चिकित्सालय और एक प्राइमरी स्कूल है। करने थे। जब कोई हिजड़े में शामिल होना चाहता है, मोरपुर यतोरा-सिन्धुप्रदेशके कराची जिलेका एक तब ये इन्हींको नामकी कड़ाही तलसे मऔर उसे पकवान तालुक। यह अक्षा० २४०३६ से २५१ उ० तथा खिलाते हैं। प्रवाद है, कि जो कोई यह पायान सा देशाइसे २६ पृथके मध्य अवस्थित है। लेता है यह भी होजड़ोंकी तरह हाथ पैर मटकाने भूपरिमाण २६६ वर्गमील और जनसंख्या साढ़े तीन लगता है । हजारसे ऊपर है। इसमें ६८ प्राम लगते हैं। यहाँ घी! मीरमंजिल ( फा० पु.) यह कर्मचारी जो वादशाहों या और अनाजका जोरों वाणिज्य चलता है। लश्कर आदिके पटु चनेसे पहले ही मंजिल या पड़ाय पर मीरपुर माथेलो-यम्बईके सुकर जिलेका एक तालुक। पहुंच कर वहां सब प्रकारको व्यवस्था परे। यह अक्षा० २७ २० से २८३० तथा देशा० ६६ .. १६ से ७०.१० पू०फे मध्य अयस्थित है। भूपरिमाण } मोरमजलिस ( फा० पु०) समा या अधिवेशनका प्रधान १७२० वर्गमील और जनसंख्या ५० हजारके करीब है। अधिकारी, सभापति। तालुकके दक्षिण भागमें विस्तृत मरभूमि है। यहां जुआर | मोरमदन-सिराज-उद्दौलाका एक सेनापति । पलामीको बहुतायतसे उपजता है। लड़ाई में यह अंग्रेजोंको गोलीस घायल हो पन्चल्यको मोरपुर सकरी--यम्यईके कराची जिलेका तालुक। यह प्राप्त हुआ ( १७५७६०)। भक्षा० २४.१४ से २४.५१ उ० तथा देशा० ६७६ से मीरमन्नू-पायका एक मुसलमान शासनकर्ता, वजीर ६७ ५५ पू०के मध्य अवस्थित है। भूपरिमाण ११३७ फरर उद्दीन खाँका लड़का। इसके अमित पराकमसे वर्गमील और जनसंख्या ढाई हजारसे ऊपर है। इसमे ७४ १७४८ ई० में दुर्रानी-सरदार अबदाली हार कर भाग गया माम लगते हैं, शहर एक भी नहीं है। यहांको प्रधान । उपज धान, वाजरा और तिल है। था। इस वालककी वीरता पर प्रसन्न हो सम्नाट मह- मोर फर्श (फा० पु० ) ये गोल, अंचे और भारी पत्थर | म्मदशाहने इसे लाहोर और मूलतानका शासनकर्ता जो बड़े बड़े फी या चांदनियों आदिके कोनों पर इस बनाया तथा मुहन-उल मुल्ककी उपाधि दे इसका सम्मान 'लिये रखे जाते हैं जिसमें वे हवास उड़ न जाय। किया। उसी साल महम्मदशाहके मरने पर उसका मोर वस्शी (फो० पु० ) मुसलमानी अमलदारीका एक लड़का अहमदशाह दिलोके सिंहासन पर बैठा । मन्नू- प्रधान कर्मचारो। इसका काम घेतन घाँटना होता था। के साथ उसका पटता नही था, इस कारण यद इसका मीरवहर (फा० पु० ) मीर यही देखो। राज्य छिननेको आगे बढ़ा। इसी मूवमे दोनोंमें घम- नौरवहगे (फा० पु०) १ मुसलमानी अमलदारोमै जल- सान युद्ध आरम्भ हुआ। युममें मम्राटकी हार हुई।

सेनाका प्रधान मधिकारो। २ वह प्रधान कर्मचारी जो इसके पराक्रमसे सारी सिप जातिको इसकी प्रधानता

यंदरगाहों आदिको देख-रेख करता है। स्वीकार करनी पड़ी यो। अनन्तर जब यह गहमद- मीरवार ( फा० पु० ) मुसलमानी समयका एक शाह अबदालीको प्रतिश्रुत कर देनेसे इन्कार चला अधिकारी। यह लोगों को किसी सरदार या वादशाह गया, तय १७५१.५२६० में दुर्रानो-सरदारने फिरसे पञ्चाव के सामने उपस्थित होने से पहले उन्हें देखता और तब | पर आक्रमण किया। आखिर आत्मसमर्पण परक उपस्थित होनेका हुकुम देता था। मन्नूने छुटकारा पाया था।