सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/७९३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मुक्खो-मुक्तलजे ८१ मुखी ( हिं० पु० ) १ एक प्रकारका कबूतर जो गोले कबूः | १ सिंह, शेर । (वि०) २ मुषतनेव जिसकी आम्बे तरसे मिलता जुलता है। यह कबूतर प्रायः उन्हींके खुली हो । साथ मिल कर उड़ता है और अपनी गरदन कसे रहता मुफ्तचन्दा (सं० स्त्री०) चिंचा नामक साग, चंदु । है। - २ वह कबूतर जिसका समूचा शरीर तो फाला, मुफ्तचेता (सं० पु०) वह जिसमें मोक्ष प्राम करनेको हरा या लाल हो, पर जिसके सिर और सैनों पर एक बुद्धि आ गई हो। 'या दो सफेद पर हों। मुफ्तता (सं० स्त्री०) मुफ्तस्य भावः तल टाप। १ - मुक्त (स० वि०) मुक्त। १ प्राप्तमोक्ष, जिसे मोक्ष मुफ्तन्य, मुफ्त होनेका भाव । २ छुटकारा । प्राप्त हो गया हो । जिन्होंने तीनों प्रकार के दुःखोंसे आत्य- मुफ्तद्वार (सं० वि०) मुफ्तं द्वार यल : जहां दरवाशा तिक रूपमें निष्कृति पाई है, जिनका मायिक वन पूर्ण- खुला हो। रूपसे छिन्न हो गया है ये ही मुक्त है। जोय मायाबंधन- मुक्तनिद्र (सं० वि० ) जाप्रत्, जगा हुआ। ‘से बद्ध रहने हैं, जो इस मायावधनको काट कर अलग | मुषतनिर्मोक (सं० पु० ) मुफ्तो निमाको पेन । मुफ्त. हो जाते हैं वही मुक्त हैं। मकि देखो। कञ्चुक, यह सांप जिसने अभी हालमें केंचुलो छोड़ो हो। २ मोचित, जो धनसे छूट गया हो। ३जो पकड़ | मुक्तपत्राढ्य (सं० पु० ) तालीश । या दवावसे इस प्रकार अलग हुआ हो कि दूर जा पड़े, मुफ्तपालेयत (सं० पु०) एक प्रकारको प्रतरका पेड़। फे का हुआ। मुक्तपुरुष (सं० पु०) मुफ्तः पुरुषा कर्मधा० । यह जिस. ४ नृपविशेष। ( राजतर० १६५) ५ ऋपिविशेष।' की आत्मा मुफ्त हो, यह जिसका मोक्ष हो गया हो। पे सप्तर्पिसे एक थे। मुफ्तफुत्कार (सं० वि०) शब्दकारी, आवाज करनेवाला। "अमिन चामिवाहुब शु चिर्मुक्तोऽथ माधः । मुक्तबन्धन (सं० वि०) शृङ्खलमुफ्त, जो बन्धनसे छुट 'शुक्रोऽजितश्च सप्स ते तदा सप्तर्षयः स्मृताः ॥" गया हो। -. (मार्कण्डेयपु. १००।३१) मुक्वन्धना (सं० स्रो०) १ मलिकायक्ष, येला। २ एक मुक्तक (सं० लो०) मुच्यते स्मेति मुच-पत, संज्ञायां कन् । प्रकारका मोतिया। १ क्षेपणीयास्त्रभेद, प्राचीनकालका एक प्रकारका मन मुक्तयम ( सं० क्ली०) १ मुक्तिमार्ग। २ सरल और जो फेक कर मारा जाता था। २एक ही पद्यमे पूरा | उत्तम पथ। होनेवाला एक प्रकारका काथ्य, फुटकर कविता। मुक्तबुद्धि (सं० पु० ) यह जिसमें मुक्ति प्राप्त करने मुक्तकच्छ (सं० पु०) १ वौद्धभेद । (वि.)२ जिसने | योग्य युद्धि मा गई हो। . • फाछ खोला हो। मुक्तमण्डूकफण्ठ (सं० त्रि०) अंगको तरह रात दिन मुक्तकञ्चुक (सं० पु०) मुक्तः कञ्चुको पेन। यह / चिलानेवाला। सांप जिसने अभी हालमें केचुली छोड़ी हो । पर्याय- मुक्तमातृ (सं० खो०) शुक्ति, सीप। निमुक्त। मुक्तमाता (सं० स्त्री० ) मुक्तमात देखो। . मुक्तकण्ठ (सं०नि०) मुका कराडो येन। १ चिल्ला मुक्तमूर्द्धज (सं० लि०) मुको मूद्ध जो येन । मुक्तकंश । कर बोलनेवाला, जो जोरसे वोलता हो। २ जो बोलने में | मुक्तरसा (सं० खो०) मुक्तो रसो यस्याः । साना, 'येधड़क हो, जिससे कहने में आगा-पीछा न हो। रासना। (ति०) २ त्यपतरस, जिसका रस यह मुक्तफेश (सं० लि०) मुक्तः केशो येन । त्यक्तकेश, जिस.] गया है । का जूड़ा खुला हो। मुकरोय (सं०नि०) स्थपत कोध, जिसे गुस्सा न हो। मुक्तकेशो (सं० स्रो०) काली देवीका एक माम। मुकलज (सं० वि०) लजा त्यागकारी, जिसने लजाका 'मुक्तचभुस् (सं० पु०) मुफ्त सर्वतः क्षिप्तं पक्षन। परित्याग कर दिया हो। २ निर्लज, बेहया। . Vol. XVII, 176