___ मुखशफ-मुखाग्नि भूनकान्ति हो जाती है। (भावग्र० क्षुद्ररोगाधि०) 'भो हर हर नीलकपट भवं भावय प्लाश्य हुकारेया विषम मुग (सं० पु. 1 मुगां क्षर य तीक्षणमस्य ।। प्रउ ग्रस क्लीवारेया हर हर हौहारेण अमृत पायय प्लाषय हर हर
- मन, यह जो कयधन कहता हो।'
नास्ति विर्ष उच्दिरे। ( अत्रिसं० ३६५६ अ०) मुमद्र. (मस्त्री०) मुत्रस्य शुद्धिः। यत्रशोधन, : मुखसुख (सं० क्लो०) १ मुखका मुख । - (वि०)२ रंजन या दनुवन आदिकी सहायतासे मुह साफ करना। मुखका सुखजनकमात्र । बालमें इलायन और मुन्न प्रक्षालनादि द्वारा मुख-मसर (सं० लो०) मुखस्य सुरा इति (विभाषासेनामुरा 'दि काली होती है। शास्त्र में किसी किसी दिन दंत- खायामातानिशानां । पा ॥४॥२५ ) इति पष्ठी समासे सुरा: पालन निन्द्र पटलाया है। निषिद्ध दिनमें दन्तधावन सदस्य हस्खत्वं । १ तालसुरा, ताडो । २ अधरामृत ।
- का दल युद्धो कर लेनेमे ही मुखशुद्धि होती है। मनवी (सखो०) आघातक वृक्ष, अमड़े का पेड़।
" दन्दमयना प्रविपिदिने तया। साधायडे ॥" { आह्निकतत्व) मका। कण्ठस्य, जो जयानी याद हो । मुखस्य (सं० लि. ) मुखे तिष्ठति म्या-क। १ मुखस्थित, मदनमल और बिहानल जिस उपायसे परिमखनाव (सपु०)मभावे घम् मुखात् स्नावः पतन- Marwarटा रटेनमशुद्धि कहते है। थक. लार) २ वालकरोगभेद, पालकाका ': नोना मन्द मन्द, सुपारी आदि खा कर करोग। इनमें उनके मुंहसे अधिक लार बहती है। . . . ( वयत्यनेन शुघ णिच् । कफसे दूपित स्तन पीनेसे यह रोग होता है।
- ोध नाव, यइ पदार्य जिसके
मुखाकार (सं० पु०) मुख सदृश, मुहके जैसा। .. • अन्न होता है। सुनस्य शोधना. मुखाग्नि ( स० पु०) मुख मुख्योऽग्निः । दावाग्नि, जंगल- मामिलाना 3 की आग। २ मृत व्यक्तिको चिता पर रख कर पहले वाद!ि सुन्दर पिच उसके मुंहमें आग लगानेको फिया । शास्त्रमें लिखा है, किन र करो कि मुहमें आग न लगा फर शिरमें आग लगानी समान अमान . "देवारवाग्निमुलाः सर्वे गृहीत्वा तु हुताशनम् ।.. __गृहीत्वा पाणिना वेव मन्त्रमेतदुदीरयेत् ॥" (शुद्धित० ) दुम र सारे पहले अग्नि ग्रहण कर शवका प्रदक्षिण करे। पोछे . . . . . . . . . नोक मन्त्र पढ़ कर शयके शिरःस्थानमें अग्नि प्रदान सुद को निरपतदि . मत्व इस प्रकार है- . ." मोडे ल पदिशदि रुत्वा तु दुष्कृतं कर्म जानता याप्पजानता । .. . तशं प्राप्य नरं पञ्चत्वमागतम् ।। माद उस मनायुक्त लोभमोहसमाभितम् । . . पलापि दिव्यान् लोकान् स गच्छति ॥" "" चाहिये। . . . . . (शुदित. ) मुख्म बन लगा कर शिरमें भाग लगानी चाहिये, झजसो स्या है। शिर भी मुसका एक अंश ईहोकरबाई कि जिसमें आग लगानेको भी मुबार ... कार - सार ama ' - . . "