पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/८२३

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मुगल ७३५ . न थी। ये नामोद लोगोंके जैसे भ्रमण करते रहते थे। । कारण ताजिउत् शाग्याफे मुगलसरदार तुघूताए करील: वों का पालना, भोजनादि बनाना और घरके दूसरे तुक बादशाह मोधित हो उसको बन्दी कर ( १९८७ दूसरे काम घरको स्त्रियोंके हाथमें थे। । १९८८ ई०) ले गया। फरील-तुक् पादशाह युमक्षर घरावर खुले मैदानमें रह कर शिकार करने अथवा राजवंशके चौथे राजा काइदु ग्यांसे पांच पोढ़ी नीचे था ':शत्रुओंके अचानक आक्रमणसे अपने प्राण बचाने के लिये और हमदारका परपोता होता था। शेर नैष्णगण .ये लोग अधिकांश समय घोड़े की पीठ पर सशस्त्र रहा। इसीके अधीन रहते थे। मेरुण लोगोंका जाति विरोध करते थे। इस प्रकार भूत, प्यास, धूप और वर्षा सहन ही इस उत्तेजनाका कारण था। कर ये लोग कष्टसहिष्णु हो गये थे। साथ साथ कठोर ___कारागारमें कुछ दिन बन्दी रहनेके याद तमुरचि भीर बलवान् भी हो गये थे। अपने सम्प्रदायके किसी सास मौका पाकर भाग निकला | पासयाली एक मोलमें यह ' परिवार के प्रधान व्यक्तिकी देखरेखमें इनका राज्यशासन | नाक भर पानीमें छिप रहा। इस अवस्थामें बादशाह 'चलता था। तुघूताएक सैनिक लोग उसकी टोह न पा मफे। भाग्य. .. ' इस समय मुगल, तुकै और तातार भिन्न भिन्न यश उस झोलके तट पर सुर्धान सिराह नामक एक , शासाओंमें विभक हो गये। एक या दो शाखा पर शासन सल्दुज खेमा डाले हुए था। उसने जलफेवाहर गाफ देख , करनेवाला एक एक सरदार रहता था। ऐसे ७१ सर| उसे भगोड़ा समझ लिया। अब उसने, जो सैन्यदल . दार (हाकिम ) थे। मुगलजातिको नैरुण शाखाने | उसकी नलाशमें आ रहा था, उसे यहका कर दूसरी जगर . यास्सुक घहादुरके पुत्र तमुरचिको अपना सरदार भेज दिया। शव लोग जब हृढ़ने के लिये दूर चले गपे बनाया। इसके याद ही दूरदशी मन्त्री सुघुजिजान तय सुर्घानने तमुरचिको इशारेसे युलाया। गहरी रातमें यहांसे चल यसा। उसका अल्पवयस्क लड़का नूयान | घह तमुरचिको जलसे बाहर कर अपने तम्बूमें ले गया (कराचार) को मन्त्रिपद पर नियुक्त किया गया। इस तथा उसके कंधेसे 'दोशाणा' खोल दिया और उसे पर नैरुण लोग कचो अयस्था और युद्धिके दो बालकों- भेडफे ऊनसे लदी हुई गाड़ीमें छिपा रपसा । 'के हाथ अपने शासनको बागडोर देख असन्तुष्ट हुए घर तु— ताएफे सैनिकको सुर्धान सिराह पर सन्देश और प्रायः ४० हजार नैरुण परिवारों में से २७ हजार परि हो गया। घे उसके तम्बूको पक पक कर जांचने पहुंचे। • पार तमुरचिको छोड़ ताई जिउत् या तान् जिउन नामक | बहुत जांच पड़तालके बाद उन्होंने पगमकी गाडोको शत्रुपक्षके मुगलदलमें आ मिले। केवल १३ हजार नैण | जगह जगह ठुकराया और उसके भीतर छिपे हुप तात. परिवारने उन दोनोंको नहीं छोड़ा। रचि पर भाघात भो पहुँचाया लेकिन सौभाग्ययश ये । इस प्रकार शत्रों से घिरे रह कर ये लोग पिप उस पीढ़ित सरदारको बाहर न निकाल सके । अन्तमें त्तियोंके समुद्र में वास करने लगे। तीस वर्ष तक इन्हें विफल मनोरथ हो ये लोग घर लौट गये। । अनेक कष्ट और विपत्तियां झेलनी पड़ों । गद्दी पर बैठने के शत्रु मोंके चले जाने पर सुर्धान् सिराहने निर्भय हो। बादसे १७ वर्ष तक नाना विघ्नों और विपत्तियों के बीच | तापरचिको बाहर निकाला और उसे गात्मरक्षाफे लिये 'राने पर इनके भाग्यने पलटा खाया । धीरे धीरे नैरुण रसद और तीर-धनुप दे अपने काले घोड़े से शीन चले । परिवार उनकी अधीनता स्वीकार कर उनके दल में मिल जानेको कहा। गिजने सुर्धानको उप पर दे मामा- • गपे । नेरुण लोगोंफे फिर आ मिलनेसे ( १९८३ ई०) नित किया था । इसी पंगमें प्रसिद अमीर चौपान

.इनका दल जबरदस्त हो गया और तमुरचि एक दूसरी उत्पन्न हुए थे।

। मुगल शास्त्रा पर अपना शासन जमा सका। । तमुचिको भाग्यलक्ष्मी अधिक दिन तक प्रसन्न न दो मीगोका काठका एक यन्त्रविशेष। उस समय रही। नैरण लोगों के इसके दलमें फिरसे आ मिलनेके | पदलेमें वही भाराधीके गले डाला जाता था