पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/८४६

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मुंचुटी---मुजफ्फरगढ़ जुलते है । पंती महीन महोन रोई होती है। विरुद्ध मुगल-सेना ले लड़ने चलाया। मुगल बादशाह जिससे ये छूने खुरदरे लगते हैं। फूलके दल पांच मुहम्मद शाहके साथ नादिरशाहके युद्धों १७३६ ई० में यह 'छ: अगुल लंघे और एक अगुलके लगभग चौड़े होते मारा गया। है। दलोंके मध्यसे सूतके समान कई केसर निकले मुजफ्फर खा~-आगरेका एक शासक । . १६२१ ई०में होते हैं। दलों के नीचेका कोश भी बहुत लंबा होता. बादशाह जहांगीरने इसे शासक बताया ' PERFPod हैं। फूलकी गंध बहुत मोठी होती है। सिरके दर्द में । इसने आगरा नगरमें काली मसजिद बनवाई। वह . फूल पीस कर लगानेसे बहुत लाभ पहुंचता है। इसके मसजिद माज कल खण्डहरमें पड़ी है। .. फल कटहलके प्रारम्भिक फलोंके समान लवे लये और मुजफ्फर खो तिम्यतीवादशाह अकबर के अधीन धंगाल- पत्थरकी तरह कड़े होते हैं। फल और फूल दोनों का एक शासक । १५७ ई० में उसे शासनभार मिला। हो औपके काममें आते हैं। पर्याय-छतवृक्ष, चित्रक, उसके शासनकाल में वाव खां काकशालने वागी हो गौड़ प्रतिविष्णुक, वहुपुत्र, हरिवल्लभ, सुपुष्प, लक्षणक, रक्क. नगर अधिकार कर लिया और १५८० ई० में उसे मार प्रसव । गुणकटु, तिक्त, कफवातनाशक, कण्ठस्वर पद्धक, स्वग्दोष तथा शोकनाशक, जीर्ण ज्वर, शिरस. पोड़ा, पित्त, अन्न और विपनाशक । मुजफ्फरगढ़-पआयफे मुल्तान खिचिजनका एक जिला । २ महाराज मान्धाता पुर। कहते हैं, कि इन्हों । यह अक्षा २८५६से ३०४७ 30 और देशा० ७०३१ से. ने देवताओंका पक्ष ले कर असुरोंका विनाश किया था। १४७ पू०के घोच अवस्थित है । . . इससे प्रसन्न हो कर देवतामोंने इन्हें वर देना चाहा। इसके उत्तरमें डेरा इस्माइल खां और झंग जिला, मुचकुन्दने वर मांगा, कि जो कोई मुझे निवास अगा- पूर्व-दक्षिणमें चनाव या चन्द्रभागा नदी और पश्चिममें धेगा वह मेरे देखते ही भस्म हो जायगा। मथुरा जीत सिन्धु नद हैं। यह जिला तीन तहसीलों में विभक्त है. : कर कालयवन श्रीकृष्णचन्द्रको दृढ़ते दृढ़ते गिरनार उत्तरमें सोनायल, दक्षिणमें अलीपुर और मध्यभागमें पहुंचा। उसने मुचुकुन्दको कृष्ण समझ कर लात मारी मुजफ्फरगढ़। इसमें ४ शहर नथा ७०० गांव लगते हैं। और भस्म हो गया। इसका रकका ३६३५ वर्गमील और मावादी ४ लाखसे मुचुटो (सं० स्त्रो०) १ उंगली मटकाना । २ मुष्टि, ऊपर है। इसका आकार माया त्रिभुजके जैसा है। सिन्धु नदै मुच्या (हिं० पु० ) मांसका बड़ा टुकड़ा, गोश्तका की अनेक शाखा प्रशाखायें इसके चारों ओरकी भूमि लोपड़ा। को अत्यन्त उपजाऊ बनाती हैं। जिलेके यदुतसे स्थाने मुछंदर (दि. पु० ) १ जिसको मूछे दड़ो दो हो। २ वर्षाकालमें जलमग्न हो जाते हैं, इसलिये उपजके लिये कुरूप और मूर्ख, भद्दा और वेवक । ३ चूहा। पंजाबका यह प्रधान जिला है। यमतुमें गायों के मुछिपल ( हिं० पु०) बड़ी घड़ी मूंछवाला। जल में डूब जाने पर गरीब किसान काठके मचान बना कर मुजफ्फर (हिं पु०) पुल्लिङ्ग। रहते हैं। सिन्धु नद और चन्द्रमागानदीका संगम- मुजफफर खां-जमेर प्रदेशका एक मुसलमान स्थान अत्यन्त सुन्दर है। इस स्थान पर सिन्धुनंदको नवाय। अपने बड़े भाई अमीर उल-उमरा खां दौरान् । चौड़ाई शोतकाल में एक कोस और दूसरे समयमें उससे अबदुस सहमद खांको चेपासे वादशाह फर खसियरके। अधिक रहती है। जाड़े के दिनों में कावुल भादि अनेक राज्यकालमें इसको अजमेरका शासन मिला। मराठा- स्थानोंसे गौ मादि पशु इस प्रान्तमें पाया करते हैं। पांच सरदार मलद्वार राव होलकरने जब अम्बरके राजा सवाई नदियां अपने जलसे इसको चुम्यन करती है। इसी कारण जयसिंहको राजधानी जतपुर पर चढ़ाई की तब यह उनके । इसका प्राकृतिक दृश्य अत्यन्त हदयमादी हैं। इन नदियों के