पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/८५२

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मुजराकंद-मुख मुजराकंद ( हिं. पु०) उत्तर भारतमें होनेवाला एक प्रकार | सुलतान महमूद उच्छ जल चरित्रके थे, इसीलिये का कन्द । इसे मुआत भी कहते हैं। वैद्यकके अनुसार प्रधान प्रधान राजकर्मचारियोंको सलाह न माननेके कारण यह अत्यन्त स्वादिष्ट, वीर्यावक तथा वात पित्त नाशक १५४३-४४ ६० वे सेनाध्यक्ष मीर-उल उमरा आलम माना गया है। खांके द्वारा नजर बन्दी हुए। इस समय मुजाहिद खाने मुजरिम (म० पु० । जिस पर अभियोग लगाया गया हो, उसकी रक्षाका भार लिया। इस कारणा' आलम बांके अभियुक्त। भाई सुजा-उल-मुल्कने उसको धागो बना उसके बजोर मुजलद (१० वि०) जिल्ददार, जिसको जिल्द बंधी हो। तातार-उल मुल्कका विद्रोही धन कर सुजाके विरुद्ध मुजस्सिम (अ० वि० ) प्रत्यक्ष, सशरीर । सुलतामके साथ परामर्श किया। मुजारिया ( स० वि० ) जो जारी किया या कराया गया। मुजिर ( अ० वि०) हानिकारक, नुकसान पहुंचानेवाला । मु (हिं० सर्व) मैं का यह रूप जो उसे कर्ता और संबंध मुजावर (म. पु० ) वह मुसलमान जो किसी पीर आदि। | कारकको छोड़ कर शेष कारकोंग विभक्ति लगनेसे पहले की दरगाह या रोजे पर रह कर वहांको सेवाका कार्य प्राप्त होता है। ... .... करता हो और चढ़ाया आदि लेता हो। मुजाहिद नागोरके एक शासनकर्ता । इन्होंने मुझे ( हिं० सर्व०) एक पुरुषवाचक सर्वनाम । यह उत्तम पुरुष, एकवचन और दोनों लिङ्ग है। यह यता या उस. फिरोज पांकी मृत्युके बाद अपने मातृपुन (भतीजा) शामस खांको राज्यसे मार भगाया और राजसिंहासन के नामकी ओर सङ्केत करता है। पर अधिकार जमाया। शामस खाने राणा कुमका | मुश्चक (सं० पु०) मुक्ण्वुल । १मुष्कवृक्ष, मोखा आश्रय लिया। मत: मुजाहिदने अपनेको आत्मरक्षामें नामका पेड़। २ वृपण, गरकोप। " . असमर्थ जान सुलतान महम्मद खिलजीसे सहायता । मुश्चन (सं० लो० ) १ मोचन, परित्याग करना । २ मल. मांगी। इस प्रकार नागोर-किलेके लिपे दोनों पक्षों | त्याग, पाखाना फिरना। . .. . धोरतर संग्राम हुमा। मुझ-युक्तप्रदेशके इटावा जिलान्तर्गत एक बड़ा गांव । मुजाहिद खांसुलतान महम्मद विगाडाका एक कर्म- यहाँको प्राचीन कीर्तिका अवशिष्ट देव कर अनुमान चारी, मालिक लादन खांके ज्येष्ठ पुत्र । अधिक ज्येष्ठ पुत्र। अधिक होता है, कि यहां पहले एक समृद्धिशाली नगर था । यह मोटे होने के कारण उन्होंने “वालोम" की उपाधि पाई अक्षा' २६५३ ४५०3० तथा देशा०, ७६ १२१ यो। उक्त राजाके आदेशानुसार ये हादिल सांके पू० इटावासे ७ कोस उत्तर पूर्व में स्थित है। यहां सहकारी नियुक्त हुए। गुजरातफे राजा सुलतान यदा-1 राजपूतोंका सुरक्षित एक दुभंघ किला था। १०१७ ६०में दुर शाहने उनके कार्यसे सन्तुष्ट हो कर उनके हाथ सल्तान महमूदने इस स्थानको अपने अधिकारमें ला चूनागढ़का शासन-भार सौंपा। अनन्तर उन्होंने सुलकर एक किला निर्माण किया। स्थानीय किंवदन्ती तानके साथ अहम्मद नगरको चढ़ाई को । यहाँसे उन्होंने है, कि इस स्थानमें कुरक्षेत्र संग्राम हुआ था। मुअराज . पहले असा नगर और पोछे १५३३ ई०में गुजरातकी तथा उनके दो पुत्र युधिष्ठिरको मोरसे लड़े थे। कुरु- विजयवाहिनी ले कर रणस्तम्भ गढ़ पर अधिकार जमाने क्षेत्र-युद्ध-स्थलका प्रवेश द्वार तथा दो धुनौका.मना. के लिपे प्रस्थान किया। . वशेष आज भो दृष्टिगोचर होता है। अनेक मंधानों में सुलतान ३य महमुद शाहके राज्यकाल में उन्होंने बड़े बड़े पत्थरके कुए भी मुशोभित हैं। का बना डादरफे युद्ध में अपने भाई मुजाहिद-उल-मुल्कके साथ हुमा एक प्रकाएड स्तूप धरतीमें गड़ा हुआ है। यहांके मिल कर सेनाओंके दक्षिण भागकी परिचालना की थी। लोग उन को बाहर निकाल कर मृदादि निर्माण .