महम्मद इमास-महमद इब्न.मासामूर इनका मृत्युकाल १३६१६०ने निश्चित होता है। जन्म मुलाफे साथ बातचीत करते करने इनकी सांसारिक मूमि किरमानमें दी उनका मायरा बना था। : . वामनायें जाती रहीं। मतपय धन रगका त्याग कर यह महम्मद इमाम--एक मुसलमान मुफती। ये खलीफा सुल्तानके पास गया और अपनो विरागविषयक पासना हारू रसीदको अमलदारीमैं मौजूद थे। इनका प्रश्न उनसे कह सुनाई। पहले तो मुग्लान इसे पागल समझ नाम था मायू अबदुल्ला महम्मद विन हुसैन अल सैयानी। कर चिकित्सा करने लगे। पीछे जय मादमा सच. इराक अरयके अन्तर्गत पैसित नगरमें ६३६ ई०को इनका मुच विराग-यासनाने रसके हृदय में स्थान फर लिया है, " जन्म हुआ था। इन्होंने पहले हनिफा और पीछे भासू नय कोई उपाय न देस छोड़ दिया। । युसुफंसे शिक्षा पाई थी। अपने अध्यापक इमाम आयू अनन्तर महम्मद भी अपनी पत्नी माय उसी "युसुफकी टिप्पनियों को संग्रह कर इन्होंने अपने प्रन्यो ' मुलाफे पाम गये और उनके चरणों में . गिर कर जोड़ दिया। कहीं है, कि इन्दौन : प्रचलिग्ये थे। सेवा करने लगे । मुलाफे यल तथा शिक्षासे मादिक उनमें जामि-उल-कवीर', 'जामि-उस-सघोर', 'मयमत की मानसिक पत्तियां दिन पर दिन परिम्पुर होने लगी। i फो फरू इल हानिफिया', 'जियादत फी फुरा इल हानि- धीरे धीरे उनकी साधुताका परिचय चारों ओर फैल फिया', 'सिपार-उल कधीर पल सघीर' आदि छः गया। ऐसा कहा जाता है, कि मम्मयासी घासिया नप मुसलमान समाजमें जाहिर उल रिवायत नामसे। जातिके किसी एक प्यक्तिने इन्हें मार डाला था। सौराष्ट्र प्रसिद्ध और विशेष भादरणीय है। खुरसान राज्यको । नगरमें उनका मकबरा आज मी मौजूद है। दाक्षिणात्य- राजधानी राई (राय) नगरमें ८०२१०को इनकी मृत्यु हुई। यामी सैकड़ों मनुष्य इस मकबरेको देखने भाते हैं। परन्तु कोई कोई इनका मृत्यु-स्थान वागदाद बतलाते हैं । महम्मद इयन गालामूर-यूरोपफे स्पेन राज्यान्तर्गत महम्मद इस्माइल युखारो-सषा उल युखारी मामक प्रानडा प्रदेशफे पक नूर (मसलमान) रामा। इन्होंने अन्यके प्रणेता। इनका असल नामक था आया अव- आल्हाम्नाका विष्यात दुर्ग तथा राजप्रासाद निर्माण । दुल दिन रस्माइल माल युग्तारी । युखारा नगर, जन्म किया था। उपरोक्त दुर्मफे एक गिलापालक पर इनका • तथा वास होने के कारण इनका नाम अल युवारी पड़ा। नाम मायु पबदुला लिया हुआ है। १९६५६०में भर्जना • आईन व्यवसायो दोनेके कारण मम्मद इस्माइल नामसे नगरक घनिनसरफे संम्रान्तयंग इनका जन्म हुभा • मशहर हुए। इनका उपरोकप्रय मुसलमान समाजमें | था। पड़े होने पर पे भर्जना तथा जायना मगरको दूसरा पुराम ही समझा जाता है। ८७०६00 युखारा शासक नियुक्त हुप। इस समय इन्होंने दाक्षिणात्यमें नगरमें इनकी मृत्यु हुई। | अपनी दया और न्यायपरता मादिगुणोंस ममाचार. महम्मद इस्माइल (मालयी )-निरात उल मुस्ताफिर को मोदित कर दिया था। इपग हुदायतकी मृत्यु
- नामक थके प्रणेता। मुसलमानों के भिन्न सम्प्रदाय वाद स्पेनीय मूर राज्यमें शामनयि नेता भारम्भ
प्रवर्तक फेरोलो नियासी सैपद महम्मद मती प्याश्या हुई। इमी सुभयसरमें महम्मदने कई देशों पर अधिकार 'फर इन्होंने अपनी पुस्तफ रची है। | कर लिया था । - यही नहीं, कितने ही देश मधियानी महम्मेद इसहक-सियार उल मयि य-मापद साहब इनको उपस्थिति मालसे मोरमसमर्पण करने वा ' नामक अन्य प्रणेता। महम्मद इस्तियार (मालिफ)- मुल्तान महम्मद बिगाहा. इन शासनकाल में स्पेन उन्नमिकी परमसीमा पर में पफ मित। सुल्तानने गद्दी पर बैठ कर इसे पांच पग गपा था । सबसे पहले दाने भरग माम पर 'हजारोका गायक बनाया एक दिन यह अदमदावादसे| मिरका पलाया। १३यी मी दोन मार्ग मधोपुर जा रहा था। राहमें दो पहर हो गया, इमलिपे यनाने हाथ लगाया। गर्षको उमने गा ही ममाज पदमफे लिये एक मुलाको ममजिदमें घुमा । युरि नष्ट नहीं हुई घोप समय भी ये गोई पाकर Tol. 31.21 -