यदि किसी परिचित व्यक्ति का लड़का कुछ अनुचित कार्य करता हुआ पाया जाये तो उसे इस आशा पर ही रोकना चाहिये कि उसका पिता दूसरे के हस्तक्षेप करने से अप्रसन्न न होगा। यद्यपि कोई भी विचारवान मनुष्य किसी नवयुवक को गढ्ढे में गिरते देख-कर चुप नहीं रह सकना, तथापि उसे बिना सोचे विचारे, दूसरे के कार्य में हस्तक्षेप करना उचित नहीं, क्योकि कई एक पिता दूसरे के द्वारा की गई अपने लड़को की निन्दा सुनना पसंद नहीं करते। ऐसी अवस्था में छोटे लड़को की शिकायत उनके पिताओ से करने में भी बड़ी सावधानी रखना चाहिये। बहुधा लड़के भी इस प्रकार निन्दा करने वाले से अप्रसन्न हो जाते हैं और उसे अपना द्रोही समझने लगते हैं, इसलिये लड़को की निन्दा को भी पर निन्दा के समान त्याग देना चाहिये। खेद की बात है कि बड़े लोगो की उदासीनता से कई एक नवयुवकों का जीवन भ्रष्ट हो जाता है।
छोटे लड़के बहुधा खिलौनो और मिठाई के लिए इच्छा और हठ किया करते हैं। यद्यपि उनकी इच्छा और हठ को सदैव मान देना अनुचित है, तथापि समय-समय पर इन वस्तुओ से उनका मनोरञ्जन करने की आवश्यकता है। माता पिता तथा बड़े भाई-बहिनो को घर के छोटे-छोटे लड़को के साथ कभी-कभी उनके खेलो में भी शामिल होना चाहिये जिसमे उन्हें अपने बड़ो की सहानुभूति का अवसर मिले और अपने उचित कार्यों मे साहस प्राप्त हो।
कई लोग दूसरो के लड़को के सामने बहुधा उनके माता पिता अथवा अन्य निकट सम्बधियो की निन्दा किया करते हैं। ऐसा करने से वे आगे-पीछे उन लड़को की दृष्टि में हेय समझे जाते हैं और उनके माता-पिता भी उन निन्दको को तिरस्करणीय समझने लगते हैं। जो लड़के गम्भीर नहीं होते वे उस अपमान का ध्यान रखकर भविष्य में समर्थ होने पर उसका बदला लेने का प्रयत्न