मिलता और कभी कभी अपमान भी सहना पड़ता है। यद्यपि ये बातें बहुधा अशिक्षा और दुराग्रह के कारण उत्पन्न होती है, तथापि कई एक शिक्षित और प्रतिष्ठित सज्जन भी अपनी विद्वत्ता और प्रतिष्ठा का प्रर्दशन करने के लिए विवाहादि उत्सवो में छोटी-छोटी बातों पर ही विध्न खड़ा कर देते हैं। ये लोग शिष्टाचार का यहाँ तक उल्लंघन कर बैठते है कि किसी ऐसे सज्जन को जिसमें वे अपने किसी निज कारण से अप्रसन्न रहते हैं कोई न कोई बहाना ढुंढ़कर दूसरे के उत्सव से हटवाने का प्रयत्न करते हैं। यदि हो सके तो ऐसे उपद्रवी लोगो से उत्सव का पवित्र और मुक्त ही
रखना चाहिए, चाहे वे लोग वहिष्कृत होने पर बाहर से अपनी
दुष्टता भले ही करते रहे।
बारातो में बहुधा झगड़े हो जाते हैं। जाति-सम्बन्धी अन्यान्य
कारणों के साथ साथ बरातवालो की उहडता और स्वागत-कारियो
की कृपणता अथवा वचनभंग से भी ये झगड़े उत्पन्न होते हैं। कोई
कोई लड़को वाले बहुधा ऊपरी दिखावे के कामो में बहुत सा
अपव्यय कर डालते हैं, पर बरात के निवास और भोजनादि का
उचित प्रबन्ध करना अनावश्यक समझते हैं। इधर बरात-वाले
लड़की वाले की प्रवृत्ति देखकर उसे आवश्यकता से अधिक दबाते
है और दोनो अवस्याओ का परिणाम बहुधा शोचनीय हो जाता
है । नाई-ढीमरा के जासूसी समाचारो से भी कभी कभी बड़े अनर्थ हो जाते हैं, इसलिए इनकी गवाही बड़ी सावधानी से स्वीकृत की जानी चाहिए । दोनो पक्ष वालो को इस बात पर भी ध्यान रखना चाहिए कि किसी एक के कारण दूसरे को व्यर्थ ही खरचे में न पड़ना पड़े, और किसी प्रकार का अपमान न सहना पड़े। हर्ष का विषय है कि शिक्षित समाजों में इन विवादों के अवसर धीरे धीरे कम होते जाते हैं।