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हिन्दुस्थानी शिष्टाचार


भोजन करने के लिए लावे । यदि पहुनई की अवधि में कोई दुसरे मित्र पाहुने का निमन्त्रण करे तो उसे वह निमंत्रण स्वीकार करने के पूर्व गृह-स्वामी से इस काम के लिए अनुमति ले लेना चाहिए ओर यदि इसमे उसकी कुछ खेद हो तो पाहुने को वह निमंत्रण उस समय स्वाकृत नहीं करना चाहिये । कभी-कभी ऐसा होता कि गृह स्वामी किसी दूसरी जगह निमंत्रित किया जाता है और उसके साथ शिष्टाचार-वश पाहुने को भी निमन्त्रण दिया जाता ऐसी अवस्था में पाहुने को अधिकार है कि वह उस निमन्त्रण को स्वीकार करे अथवा न करे। तो भी अस्वीकृति इस प्रकार की जावे कि निमन्त्रण देने वाले को बुरा न लगे।

कभी-कभी पहुनई कुटुम्ब-सहित की जाती है । इस अवस्था पाहुने के घर के लोगो को रसोई-कार्य में गृह-स्वामिनी की सहायता करना चाहिये । पाहुनी को गृह-स्वामिनी के साथ चर्चा चलाना उचित नहीं जिसमें परस्पर मन मुटाव हो जाने की आशंका हो । गृह-स्वामिनी की अवस्था और सम्बन्ध के विचार पाहुनी को आते और जाते समय उसका भेंट आदि से उचित सत्कार करना चाहिये । यदि गृह स्वामिनी किसी भले घर की स्त्रियों के यहाँ बेठने जाने और पाहुनी से भी साथ चलने के लिए आग्रह करे तो कोई विशेष कारण न होने पर उसे गृह-स्वामिनी साथ जाना चाहिये । इसी प्रकार पाहुना भी गृह-स्वामी के साथ उसके मित्रों के यहाँ बैठने को जा सकता है।

जितने समय तक पाहुना अपने मित्र या सम्बन्धी के घर जा रहे उतने समय तक उसे बहुधा उसी कोठे या स्थान में रहना चाहिये जो उसके लिए नियत किया गया हो । यदि उसका सम्बन्ध में ऐसा हो कि यह स्त्रियों के पास भी पा जा सकता हो तो सूचना देकर यह घर के भीतर भी अपना कुछ समय बिता सकता है। यदि