ऐसा न हो, तो उसे आवश्यकता पड़ने पर और सूचना देने पर ही घर के भीतरी भाग में जाना चाहिये । आते जाते समय सभ्यता-पूर्वक थोड़ा-बहुत खाँस देने से स्त्रियो को पुरुषों की उपस्थिति की सूचना मिल सकती है। इस संकेत का उपयोग उस समय भी किया जा सकता है जब स्त्रियाँ घर के किसी भीतरी भाग में भी बैठी हो। स्त्रियों के बीच में अचानक पहुँच जाना और उनको अपनी मर्यादा का पालन करने के लिए अवसर न देना असभ्यता के चिह्न हैं।
यदि आतिथेय को अपने काम-काज के लिए अधिक समय तक बाहर रहने की आवश्यकता पड़ती हो और घर में एक-दो स्त्रियों को छोड़ कोई बड़े लड़के या पुरुष न हो, तो पाहुने को उचित है कि वह गृह स्वामी के घर लोटने के समय तक वस्ती में किसी दूसरे मित्र के पास अथवा दर्शनीय स्थान देखने में अपना समय बितावे, क्योकि पर्दा करने वाला स्त्रियों के पास पुरुषों की अनुपस्थिति में रहना सन्देह को दृष्टि से देखा जाता है। यदि पाहुने के ठहरने का स्थान ऐसा हो कि उसका सब विस्तार बाहरी कोठे में ही हो सकता है ना वह पुरुषों को अनुपस्थिति में अपने स्थान ही में रह सकता है।
पाहुने का उचित सत्कार करने की अोर गृह-स्वामी को विशेष
ध्यान देना चाहिये । यथा सम्भव वह पाहुने के साथ बैठकर भोजन करे और यदि पाहुना बाहर गया हो तो भोजन के लिए उसकी प्रतीक्षा करे । मुख्य भोजनों के पूर्व पाहुने के लिए जल-पान का प्रबन्ध कराना भी आवश्यक है। भोजन समय-समय पर हेरफेर के साथ तैयार कराया जावे और जहाँ तक हो वह पाहुने की स्थिति के अनुरूप हो । भोजन स्वच्छ पात्रों में और उचित परिमाण में परसा जावे। पाहुने से, भोजन करते समय, कुछ अधिक भोजन