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हिन्दुस्थानी शिष्टाचार


के लिए थोड़ा-बहुत अनुरोध करना अनुचित नहीं है, पर परिमाण से अधिक परसना अथवा खिलाना निन्दनीय है।

पाहुने के आगमन के समय उसका आदर-सहित स्वागत करना चाहिये और यदि उसके आने के निश्चित समय की सूचना मिल जावे तो उसे स्टेशन से अथवा घर से बाहर कुछ दूरी पर लेने के लिए जाना चाहिये । इसी प्रकार पाहुने की विदाई के समय भी उसके साथ कुछ दूर जाकर आदर-सत्कार की त्रुटियो के लिए क्षमा माँगना चाहिये।

पाहुने को उचित है कि वह अपने घर पहुंँचने पर अातिथेय अपनी निक्षेम-कुशल का पत्र भेजे और कुछ समय तक पत्र-व्यवहार जारी रक्खे जिसमें गृह-स्वामी की ओर उसकी कृतज्ञता प्रमथ होवे। उसे यह भी उचित है कि आगे चलकर किसी उपयुक्त समय पर वह अपने उस मित्र को अपने घर उसी प्रकार पहुनई करने लिए निमन्त्रण दे जिस प्रकार उसने उसे दिया था।

( ७ ) शारीरिक शुद्धि में

शारीरिक शुद्धि केवल स्वास्थ की दृष्टि से ही नहीं, कि वल्कि शिष्टाचार की दृष्टि से भी अवश्यक है । आजकल पढ़े लिखे लोगो में बहुत सी ऐसी बातो का विचार किया जाता है जिन पर अपने लोग विशेष ध्यान नहीं देते । उदाहरणार्थ, बाल बनवाने के ही प्रश्न को लीजिये । अंपढ़ यह लोग बहुधा एक पखवाड़े तक हजामत नहीं बनवाते, परन्तु शिक्षित लोग सप्ताह में कम से कम दोबार अवश्यक बाल वनवाते हैं। जेन्टल मैनों के चाल तो प्रायः प्रति-दिन बनये जाते है और यदि नाई न मिले तो वे अपने ही हाथ से हजामत कर लेते हैं। इसी प्रकार लोगो को नख कटवाने का अथवा अपने दांत से काटने का ध्यान रखना चाहिये नख बढ़ जाने पर उनके सिरे पर मैल का जो कालापन आ जाता है वह घृणित दिखाई देता है