पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/१००

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बोरों को आड़ में खड़े होकर बन्दूक चलाते थे। इस रीति से बाबर की सेना मानो चारों ओर से कोट में बन्द थो, इस से निकल कर बैरी पर धावा बोल सकती थी और बैरी प्रबल निकले तो इसी के भीतर अपनी रक्षा कर सकती थी।

११.---सेना के आगे हरवल था और उसके पीछे कोतल।

अच्छा अनापत्ति सदा एक प्रबल परतल रखता है। कोतल सेना के उस खण्ड को कहते हैं जो पहले लड़ाई को नहीं बढ़ता पर जहाँ कहीं काम पड़ता है वहाँ सहायता करने को तेयार रहता है।

१२---मुख्या लेना के दो बराबर खण्ड किये गये। दहिना

मध्य-माग जिसको गोल कहते हैं दहिना अङ्ग और दहिना पक्ष और बायाँ गोल वायाँ अङ्क और बायाँ पक्ष। हर खण्ड के नायक का नाम चित्र में दिया है। दहिने अङ्ग का नायक बाबर का बड़ा बेटा हुमायूं था जो उस समय कुल १८ बरस का था । बाबर सारी सेना पर कमान करता था।

१३-बाबर लिखता है कि सूर्य आकाश में नेजे भर

ऊंचा चढ़ आया था जिससे यह समझना चाहिये कि कि सबेरे के सात बज गये थे जब बैरी देख पड़ा। पहले तो लोदी की सेना बड़ी चली आती थी पर अब उन्हों ने तोपों की भीत और मोरचे देखे तो उनकी समझ में कुछ न आया और बह खड़े रह गये। वह समझे थे कि खुले मैदान में