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 ४-- सेना के भागे ८० भारी तोपे, उनके पीछे दो सौ

जबूर ऊँटों पर बंधी हुई और सात हज़ार ईरानी पैदल बन्दूके लिये हुए थे। नीचे प्रसिद्ध तोप ज़मज़मा का चित्र दिया हुआ है। इस भारी तोप को अहमदशाह के प्रसिद्ध

                ज़मज़मा तोप

सेनापति और बजीर शाह बली खाँ ने १७६१ ई० में बनवाया यही तोप पानीपत की लड़ाई में काम लाई गई और आज कल लाहौर के अजायब घर के आगे एक ऊँचे चौतरे पर रखी है।

 ५-सारी सेना के पीछे शाह के डेरे थे और उसी के साथ

कोतल थी। कोतल में सुने हुए योद्धा २०,००० अफगान सरदार कवच पहने हुए थे।

 ६-अब नक़शे के पूर्व में महरठों की सेना को देखो।