पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/१८८

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(१८० ) मिलती थीं और ऐसी चीजें बेचने जो यहाँ नहीं होती। जैसे चावल, मिर्च, सई, अदरक, गरम मसाले, और पोस्ता जिस में से अफीम निकलती है और गया विलायत से सण्डे देश में नहीं उपजते और उस समय में यहाँ के से अच्छे सूती और रेशमी कपड़े भी विलायत में नहीं बुने जाते थे। इन सब के बदले में वह लोग यहाँ मखमल, ऊनी कपड़े, तांबे, पारे, लोहे और फौलाद की चीजें लाते थे जो यहाँ नहीं मिलती थी।

२-सन् १६०० ई० में

आज से ३०० बरस पहले से अपेज व्यापारियों ने भारत से व्याजार करने का विचार किया। इंगलिस्तान की महारानी

एलिज़बेथ ने उनको

इस काम के करने की आज्ञा दे दी। उन्हों ने पहले अपने जहाज़ सूरत नगर में जो पश्चिमी घाट पर मुगलों का बन्दरगाह था भेजे और अपनी मंडली का ईस्ट इण्डिया कम्पनी नाम रखा। इन सौदागरों को पीछे बहुत से नगर समुद्र-तट पर मिल गये जिन में ले मुख्य कलकत्ता, मदास और बम्बई थे; उस समय यह नगर छोटे छोटे गाँव थे पर अब