पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/२००

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सर हुआ। जब कभी वह चढ़ाई करता क्लाइव और उसके सिपाही उसे मार भागते। क्लाइव के आधे सिपाही काम आ चुके थे और उनके पास खाने को भी कुछ न था। किसी को भी हार माननी सविकार न थी, क्लाइव ही का तेज हर एक सिपाहियों में भरा था। देशी सिपाही वैसे ही बहादुरी से लड़ते थे जैसे अंगरेज सिपाही। जब लाने का बहुत थोड़ा सामान रह गया तो देशी सिपाहियों ने कहा कि “पका हुआ चावल साहब लोगों को दे दिया जाया करे और उसका मांड हम लोगों को, हम लोग इसी पर निर्वाह कर लेंगे।

८-निदान गवरनर ने कुछ और आदमी क्लाइव की सहायता

को भेजे। ज्यों ही राजा साहब ने उन्हें आते देखा उस मे किले पर धावा कर दिया। जिस में उस के चार सौ आदमी काम आये और भाग खड़ा हुआ।पर कलाइव ने उनका पीछा म छोड़ा। अन्त में वह क्लाइव से इतना डर गया कि उस का सामना करना तो दूर रहा उस के आने का समाचार पाते ही कूच बोल देता था।

६-मेजर लारेन्स और क्लाइक तब त्रिचनापल्लो को

रवाना हुए और घोर संग्राम के पीछे फ्रराल्सीसियों को भगा दिया। उन्हों ने महम्मद अली को करनाटक के सिंहासन । चन्दा साहब तानजोर भाग गया वहाँ के राजाने उसको मरवा