पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/७५

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उसकी चचेरी बहिन मी थी और उसी की तरह बहुत दिनों तक कोद में रह चुकी थी। उसके कोई नौकर न था इस लिये सलीमा ही को काला बनाना और घर का काम करना पड़ता था। एक दिन रोटी बनाते समय सलीमा की अंगुलियां जल गई। तब उसने अतिरुदीन से एक टहलनी रखने को कहा पर उसने न माना और कहा कि 'मैं बादशाहतो या मैं खजाने का रुपया नऊंगा। वह प्रजा की भलाई के लिये है। रक गरीब आदमी की स्त्री को दहलनी न चाहिये। मेहनत किये जाओ जैसी में करता हूँ और जब मरोगी परमेश्वर तुम्हें इसका फल देगा।' १६-अरगल की वीर रानी का गङ्गा-स्नान। १-साढ़े छ: सौ बरस हुए जब नसिरहीन बिल्ली का बादशाह था एक छोटी सी रियासत अरगल के राजपूत राजा ने कर देने से इनकार किया। उसका नाम गौतम था। बादशाह ने अवध के सूबेदार को आज्ञा दी कि उसपर बढ़ाई को और उससे पार लो। लड़ाई में राजपूत राजा ने उसको हरा दिया और उसको अपने राज से निकाल दिया। सूबेदार के दस हजार आदमी मारे गये ।