पृष्ठ:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/५३८

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अस्थायी शान्ति ] ४९४ [चौथा खंड ramme WW भी अन्याय्य आक्रमण चुपचाप नहीं सहेंगे, उसी तरह दूसरों के अधिकारों पर कोभी आक्रमण करना चाहे तो कभी असे अनुमति न देंगे। देशी नरेशों के अधिकार, सम्मान तथा पद पर ध्यान देकर अन के साथ हम अत्यंत आदर से बरताव करेंगे। हमारी यह भीअिच्छा है, कि हमारी जनता के समान अनकी भी अन्नति हो और अंतर्गत शाति तथा सुराज्य-प्रबंध से ही माप्त • होनेवाली सामाजिक प्रगति तथा अन्नति का लाभ अन्डे मिले।" ___ "और यह भी हमारी अिच्छा है, कि हमारे प्रजाजनों से कोभी भी अपनी शिक्षा, क्षमता तथा कर्तृत्व ले सुयोग्य हो तो, जाति, धर्म, पंथ-किरी का विचार न करते हु असे निष्पक्ष होकर और निःसंकोच हमारी सेवा में किसी भी पद पर भरती किया जायगा।" “ब्रिटिश प्रजाजनों की प्रत्यक्ष हत्या करने में जिन्हों ने सक्रिय हाथ बटाया हो और भि वह अभियोग सिद्ध हो चुका हो सुन अपराधियों को छोड अन्य सभी को हम क्षमा घोषित करते है। "और अब भी सशस्त्र होकर इम से युद्ध कर रहे हैं वे भी यदि अपने गाँवो को लौट जायेंगे तथा अपने अपने पहले के धंधों में लग जायेंगे, तो रे और हमारे शासन के विरुद्ध अन के किये सभी अपराध, बिलाशर्त, क्षमा कर दिये जायेंगे और अन अपराधों को हम बड़ी कृपा कर मूल जाने को सिद्ध है।" जिस तरह यह भारत का भाग्यलेख (१)' महारानी का घोषणापत्र' प्रकट किया गया । अिस का प्रमुख अद्देश अवध की क्रांतिको ठंढा कर देना ही. निस्सदेह, था । किन्तु अवध ने मिस की ओर ध्यान तक न दिया। अलटे जिसके सामने अवध की बेगमने अक घोषणापत्र यों प्रकट किया:अिंग्लैंड की रानी के घोषणापत्र में यह बताया गया है, कि देशी नरेशों से कपनी ने जो सधियों या ठहराव किये हों वे सब के सब अस पर बंधनकारी है। किन्तु भारतीय जनता अिस कपट को अच्छी तरह जान ले। कंपनी तो सारा भारत हडप गयी है और जिस को सिर आँखों पर रखना हो तोअिंग्लैंड की रानी ने