पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/१०२

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१) नीति विक्षत प्रस्ताव पास कराकर 'अपनोऊपर बड़ी संगीन जिम्मेवारीलो है। हम प्रस्तावों से देश के हितों को बहुत नुक- साम पहुंचेगा। मुसलमान भारत में ६ फरोट हैं। वे अपमे को पिटी हुई जाति में समझते पोर प्रसप संख्यक होने के कारण विशेष अधिकार भी चाहते हैं। इस अाम्दोलम में कितमी सत्यता है यह नहीं कहा जा सकता। यथार्य सो यह है कि कांग्रेस तथा सरकार से अपना परल सोधा फरमा चाहते हैं। अब धे यह देखते हैं कि सरकार हमारो महीं सुनतो ठो ये काँग्रेस के साथ होजाते है । कांग्रेस में रहते हुए जव उनको अनुभव होता है कि हमारी अनुम्रिप्त मांगोंको कांग्रेस कमी स्वीकार न करेगी वो कांग्रेस से निकल भागते हैं। बड़े बड़े मुसलमानों का पही हाल है। जो थोड़े बहुत मुसलमाम राष्ट्रीय विचारों के हैं, उमका मुसलमामो पर प्रभाष नहीं है । मुसलमाम मेहरू रिपोट से असन्तुष्ट थे। लाहौर काँग्रेस ने मेहरू रिपोट कोए फर दिया। प्राथा यह की जाती थी कि इससे मुसलमानोका रोप कम हो जायेगा और वह प्राणपम से पुनः कांग्रेस में भाग लेने लगेंगे। किन्तु पटना से शफी दादी,पदउस्लमान तया सरफ' राजनां इन तीन एसेम्बली के सदस्यों के मेट्त्व में जो घोपणा प्रकाशित हुई है उस से स्पष्ट है कि मुसलमान अब भी कांग्रेस स सन्तुष्ट नहीं पोर वे स्वतायताके प्रस्तावको भी दूसरे शब्दों