पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/१०९

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1 (EE) उनका जीवन है, इस का अनुमाम कोटी (राजपूताना ) के जमींदार श्रीर महाजम, दीवान बहादुर केसरी सिंह हाफना के एक बयान से चलेगा, आपने प्रेस को यह वक्तव्य दिया है। "लाहौर कांग्रेस के समापति के भाषण से उन व्यापारियों और ज़मीदारों की श्राले स्खल जायगी । जो अब तफ कांग्रेस की सहायता करते आये हैं। यदि भविष्य में कांग्रेस देश का ऐसा ही नेतृत्व करना चाहती है तो जिस किसी के पास जायदाद या धन था निजी स्वार्थ हो उसे कांग्रेस के भएडे से सदा के लिये हट जाना चाहिये। ५० जवाहर लाल नहरू ने जिन राजमैतिक या प्राधिक सिद्धान्तों पर प्रचार किया है संगठित रूप से उनका विरोध करना हमारा प्रधान कर्तव्य होगया है। लार्ड इरविन ने भारत को उसके न्याय सिद्ध अधिकार दिलाने के अनुकूल वातावरण पैदा करने के लिये जो कुछ किया उतना किसी भी सावित गजमोतिक्ष ने नहीं दिया है। मुझे पहा भरोसा है कि जिम सिद्धान्तों का प्रचार किया जा रहा है यदि उनके वास्तविक अर्थ का पता चल आय तो काप्रेस को कुछ अस्थिर वित्त, पथभ्रा और उन्मादी युवकों के सिवा कोईम मानेगा। । वर्तमान विरिश मन्त्री मगरल पर भारत की उदासार्टी की बड़ी अदा है और प्राशा भी लिये उसका कुछ THA पहना शावमी REE Er; 12