पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/११

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f t ब्रिटेन की सत्ता एवं पृथ्वी की महाशक्तियों को भी मास, गया था। इस बार हम सन् तीस के प्रभाष में जब सोते हुये उठे है तब हमने अपनी प्रारमा को स्वाधीन भारत की घोषणा के प्रभाव से ओतप्रोत पाया है, परन्तु इस असाधारण चीज़ की प्राप्ति से जो मानन्द हदय में होना चाहिये यह हमें नहीं हुआ है, बल्कि एक बोझ छातो पर रखागया है और इस का एक ही काण है, कि वर्तमान परिस्थिति और कार्यक्रम के देखते-देश इस घोषणा के अनुरूप स्वाधीन हो सकेगा इस में हमें घोर सन्देष है। भारतवर्ष के पूर्ण स्वाधोन होने का समय अभी किसी भी तरह हमें निकट नहीं दोख T . 1 यह बात सच है कि महात्मा गान्धी अपने प्राणों की आहुती देने का सुयोग खोज में हैं इस लिये हरुका और सीधा प्रोग्राम उनके हदय से निकलना सम्भव ही नहीं हो 'सफसा । परन्तु यह बात भी निन्धित है कि प्राप्त महात्मा गान्धी सरलता से अकेले प्रात्म पाहुति नहीं सकते, पंजाब के शेर की अपमृत्यु मालूम होता है कि भारतवर्ष ने चुपचाप सहन करती है और साधारण दृष्टि से अगर देखा जाय तो यह "कहा जासकता है कि कदाचित महात्मा जी के प्राणी पर मी देगा