पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/११६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

(१०५) विद्रोदारमक जातियों में बममस्थ सामे पास और सरकार को नीचा दिखाने वाले समझ जाते हैं। एसी के निमित्त भारत में प्रेस पर को जन्म दिया गया है। मागे चलकर मजूर प्रपान मन्त्री लिखते हैं कि नौकर शाहो को यह बड़ी भारा मूल है जो यह "अमृत बाजार पत्रिका""बंगाशी" और 'पाषा" जैसे समाचार पत्रों को मापतिजनक और विद्रोही समझतो है। इन पत्रों ने जो पुष लिखा है क्रोध के वशीभूत होकर लिखा है। कमी २ उन्होंने हमारे प्रति आ कई राम्द लिखे हैं यह इस लिये लिख क्योंकि यह इमें भलो माति पहचान नहीं सके है, किन्तु इन 'पत्रों मे हमारी इतनी पुपा महीं की है जितनी गझिशमन और सियिज्ञ मिलिटरी गजट ने की है। इन्होंने जिनको मौकर शाही समर्थक और पृष्ट पोपक समझती है हमारे दिवों पर मोर कुठाराघात किया है। मि० रामजे मेकशन को पुस्तक के उपयुक अवतणी से पाठक मानी मांति समझ गये होंगे कि उस समय भारत सम्बन्ध में शनके क्या विचार थे और इस समय जबकि उन्होंने ग्रासन को बागडोर अपने हाथ में ली है, क्या है क्या सपके मि० रामजे मेकरामरमान मि० एमजे मेकमानRE .