पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/११७

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} के प्रख्यात लेखक डा. जे० टो० सदर सैन्ट में इस प्रकार लिये है मिस से भारत भी बाहर नहीं है । यह मेगनाकारी मिलटन पिम और इम्पन का गलेर है और १७७६ में अमेरिकम उपनिवेशों के लिये न्याय की मांग करने वाले पर हैं ? कहना न होगा कि एके हो मि० रामजे मेकहानी के दोनों समय के विचारों में अमीन आसमान का पन्त हो गया है। निश्चय यह सच है कि सरकार चाहे मजरी को होगा लाट लोगों की भारत को, उत्तले कुछ मो आशा नहीं है । परन्तु हमे यह जानलेमा चाहिये कि ब्रिटिश गवर्नमेन्ट ही ब्रिटेन नहीं है-लेयर के दो रूप है. इस बात का दिग्दर्शन अमेरिका किया है। १ गजेड दो है, यह धात गुलामी में पड़े हुए भारत के दुःख के साथ स्पष्ट विस्वाह पटरी है । एक गलएर तो था। ओ न्याय और स्वतन्त्रता में विश्वास रखता है और उसका यह विश्वास केवल स्यदेश ही के लिये महीं पक्कि, सर्वत्र, पिट, और फाफ्स का गर्नश तथा भारत के लिये गाणे हेस्टिंग्स के मुकदमों क सम्बन्ध में न्याय की मांग करने पार मर्क और शेरिखन का इगलैंड है। यह गलैंड है जिसमें २८०७ ई० में अपने यहा गुलामी का व्यापार बन्द किया