पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/११८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

7 ३३ ईमें फुल ग्रिटिश उपनिवेशों से गुलामो को अन्त कर पा था। यह रिफार्म पिस को गलर है। पई कोपरेम, इट, ला रिपन,मेरो कान्टर,प्रो० फासेट, चाम्स, सला, प्रखर विलियम धेररमन, सर हेनरी काटन आदि का गलेश जो सब के सब भारत के मित्र थे। यह प्राज भी कितने ही रसवासियों का गलैंड है जो पॉलिमेंट में और उसके बाहर मोर जिनका सम्बन्ध मुख्यत मसूरखनके साथ है। इस गलर को मैं प्रतिष्ठा और प्यार करता है। इस इगलर की पारस प्रम और प्रतिष्ठा करता है। यही गलैपर है जिसने बटेम का माम मदान किया है। अगर इस गलर के हाथ में चधिकार दोता तो मौत कभी जीतकरके गुलाम न धनासाला या होता बल्कि सस के साथ न्याय और मित्रता का पोष फेया गया होता और जापान के समाम उस की भी उन्नति करने में सहायता की गई होती, यह विश्यास करने का बहुत कारण है कि अगर श्राम भी इस गलैड के हाथ में अधिकार माये तो यह तुरन्त ही उदारता, ईमानदारी ओर पिन्कुसे ही सद्भाव से प्रेरित हो भारत को कनाडो और प्रास्ट्रेलिया के समाम मोपनिवेशिक स्वराज्य देकर भारत को सन्तुष्ट करके साम्राज्य के भीतर घमाये रख सकता है और सभी या कदमा ठीक हो सकता है कि रिटिश सामाग्य कामनवेन्य या स्वतन्त्र राज्यों का संग्रह। 1 f