पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/१२१

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F -फिर, क्या उपनिवेश स्थापित करना किसी पल मिशे ( ११० ) स्वीकार की है श्रीपनिवेशिक स्वराज्य ही इस समय सिरण फिरयेशन के मांगों की चरम-सीमा गत वर्ष यही मार में मांगा भी था जिस के विषय में सरकार कोई निमि बचन टेमे को तैयार नहीं । - पर ग्रह ौपिनवैदि स्यराज्य क्या है । इस पर देश भक्त राजा-महेन्द्र प्रा की राय सुमिये। मैं उपनिवेश शब्द से ही घृणा करता हूँ। स्वयं । शब्द उतना पुरा नहीं है। कई परिस्थितियों में यह एकस भीषिक दशा का शान कराता है। किन्तु, उपमिषेशों के सभी मैं विचार करते समय अत्याचारी जातियों तथा राष्ट्रों याद आते ही 'उपमिधेश' शब्द से ही हम चौक उठते हैं। अब तक घे अत्याचारी केवल बोलने के लिये ही नहीं मि उपनिवेशों के सब कतिपय प्रमिमान भी रखते हैं, इस मसुखकर पियार को विफल हो नहीं स्यांग सफ मदारहण के लिये व्यकिगत अपराधों में हत्या से पुरा महों है, पर जब तक यह होती रहेगी, हम इसको वात था से बाज नहीं आ सकते की सामाजिक बल्या तो नहीं है। मैं सो ऐसा नहीं समापन जिस तरह आजकल उपनिवेश स्थापन किया जाता वा -- 1 1 + $