पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/१२४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

( १९४) 7 T हम मनुष्यों के लिये मानव ससार चाहते हैं । हम सा निय समाज पाहते हैं जिस,फा हदय मामवायता का अनुमये हम चाहते हैं कि पापेक व्यक्ति वसतम मानष भादणके काश की चेष्टा करे । इमारो धारणा कि प्रत्येक मामय समाज को सस्य पादेशो के लिये चेष्टा परमी वाहिय । व्यकियों" या समाजों को पाहिपे कि घे मिज़ पर मानव समाज पापारों को प्रकाश में लाने की चेष्टा करें । उधर मिस दंग से माज उपनिवेश स्थापन हो रहा है हमारे तिमान स सार के दल समूह के जिये सब से अमानुपिक है। आज कल उपमिविशो का स्थापन क्या हो हाराष्ट्रोकी स्या करने एय देशों को लूटने का साधन मिकल पाया है। मार मामय समाज क सब से पुरे युग के सब से निकर गलियों के शायद यह स शोषित ढंग है। ग्य संस्कृति वाला जातियों मे कभी इस ढंग से वश नहीं साया था। आज से हजारों वर्ष पूर्व के मादर्श मरपति राम ने सीता को छुड़ाने के लिये संका का विजय किया पर विजय के शाही ही देर बाद सम्हाने फिर उस परा को यही केनिया सियों को सुपुर्द कर दिया। अत्यन्त निकट दुरी पाएमाभी ने मनुष्यता की कमी परवा न करते हुए गासे पाकर (स्ट प्रक्रीया >