पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/१२५

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3 1 5 ( ११४ ) अधिकार जमा लिया है। उस देश की आदिम जनता पर अत्याचार कर रहे हैं। ये भारतीयों के साय मी दुर्व्यषहार करते हैं जो वहाँ रोटी कमाने गये हैं। जिस तय लंका से सीता को मुक्ति की गई उसी तरह हमें भी ईष्ट अफ्रीका के अपने भाइयों को मुक्त करना अपना आवश्यक कर्तव्य चाहिये । और यहा का शासन उस देश के निवासी भाइयों के हायों सौंप देना चाहिये । आज की उपनिवेश विरोधी नीति स्वाधीन मारत की औपनिवेशिक नीति होनी चाहिये । फिर भी कई तरह के उपनिवेश स्थापन को हम स्वाभाविक मानते हैं। मैं यह मामयोचित नहीं समझता, पल के दल दूसरे देशों में जाफर यहाँ के वास्तविक अधिकारियों को यहाँ से अधिकार व्युत कर दें। और स्यथ उन के स्थान में हो जाये यह तो पैसा हो लुम्मा जैसा चूहे के यिलों में सांपों के घुसने से होता है। यदि जन संख्या की अधिकता के कारण हमें दूसरे देशों को हो जाना पड़े तो पैसा देश ढूंढना चाहिये जिस में पहले का कोई निवासी म हो, और वहीं जाकर अपना पर बनामा चाहिये । यदि किसी पसे हुए देश में ही जाने को बाध्य होना पडे तो मैं समझता कि हमें उस देश के निवासियों के साथ बिलकुल मिल जामा पाहियेमैं इसे एक अपपप समझता है कि किसी राष्ट्र को उलटने के लिये दूसरी मातियां वहाँ माप में तो यहां तक कहता किमविन्ध में