पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/१२६

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। ११५, ) मारतीय अफोका जाय थे वहाँ के निवासी से ही विवाद ले मैं तो एफ ऐसे फानून बनाने की भी सलाह देता हूँ कुटुम्म पाला कोई व्यक्ति दूसरे देशों को म भेजा जाय। पल मात्र अषियाहित पा पिपुर ही वहाँ जाय और यदि ये वाह करें तो उन्हें उसी देश की मिषासो स्त्री से करना पड़े। इस बात का भो कहर पक्षपाती है कि हमारे पालक, धुर बालिकाएं एवं विपधार' अफीफा लामों की संख्या मायें और वहाँ के हशियों से विवाह सम्बन्ध करने । ती स्वभाषिक मामयोचित कार्य होगा । यदि हमें इस में फलता मिल गई तो पर्तमान अत्याचारी दंगों के दूर करने हमें विजय सेहरा मिलेगा। ऐस्थापन भारत के नागरिक इयो | जागो और पूर्वजो क समान अपने कर्तव्य को करो। म्हें जीवन के प्रत्येक पग में मानव माष लाने हैं । इस उप- पेश स्थापन की मीति में तुम्हारे मानुपिक हायों की भाष किता है। अहो तुम अमो वहीं प्रेम और न्याय के भाव म्हें साने हैं। तुम्हें अपने सुन्दर प्रादशों से अन्यों का पस्य करमा। यह निश्चय है भीतरी और बाहरी मायामों के होते हुए माप्त की स्वाधीमता का कार्य सूप बड़े कारण कि जो पात्रता सेने का संकल्प कर चुके हैं उन्हें वह निराश नहीं करतो 1 १९२७ को मद्रास कांग्रेस ने भारत की पूर्ण स्वाधीनता' 11 1