पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/१३

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Le (E) धेचैनी इस समय देश को पूर्ण अहिंसक नहीं बनाये रख सकती, जिसका फि महात्मा गान्धो के कार्यक्रम में एक बहुत ही आवश्यक भाग है। पूर्ण स्वाधीनता के लक्ष को सामने रखकर यदि देश कार्य कप से अग्रसर हो वो सब से पहली टकर जो उस फो झेलनी पड़ेगी वह गवर्नमेंट की दमन नीति की चोर होगी, यह घोर इतनी साधारण नहीं है जिस की सर्या हो-मको जाय । यह बात तो प्रगट हो रही है कि ब्रिटिश गवर्ममेंट मे सन् २० में भारतवर्ष से मुकाबला करने का दृढ़ निश्चय कर लिया है। और अपनी मुलाकात में वायसराय ने स्पष्ट ही भारत वर्ष को सचर दायित्व देने से इन्कार कर दिया है। अगर मारतवर्ष को प्रास स्वाधीनता-म प्राप्त होतो भी यह पसी खुशी से अभी पचास साल जिन्दा रह सकता है और अपने सङ्गठन और बल को सत्तरोत्तर बढ़ा सकता है। परातु प्रप्रिटेन यदि भारत की , प्रमिलाषा के सामने परास्त हो जाय तो यह निस्सन्देह एक ही वर्ष में परखाव हो जायगा। भारतवर्ष प्रेटनिटेन का एक मात्र जीवन प्रयलम्बम है और इस झिये भारतवर्ष को अपमे प्राधीन माये रखने के लिए सारी अंग्रेज लाठीमावश्यकता पड़ने पर एक बार जूझ भरेगी। इस में तो कोई शक नहीं कि भाज साम्यवाद की बदौलत पीयर में भी यह भाष फैलाया है कि कमजोर से कमज़ोर