पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/१३८

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( १२६ ) मगतिशीन जगत् को रण के रक्तमय जीवन से हटा कर केवल अर्थ युग में लगने को विवश करेंगे। तुम्लिाम और रूम इन दो देशों को परिस्थिति पृथ्वी भर के देशों से विचित्र है। दोनों देश भाचे योरोप और प्राधे एशिया में है परन्तु सुर्क मुसलमाम सस्कृति के काप्या योगे पियन राष्ट्र बन रहा था--स के सिया ये दोनों ही राष्ट्रशायद पृथ्यो भर में सबसे अधिक देर तक स्वेच्छाचारो शासन के मीचे दये पड़े रहे। परन्तु इस मयाम युग में दो वाते अभूत । पूर्व एवं करूपमासीत हुई हैं। एक तो तुर्फ का योरोपियन- सभ्यता म्याकार कर लेना, दूसरे रूस का एशियाई सभ्यता की प्रोर मुरुमा । दोनों ही पाते अनहोनी होने के कारण ऐसा प्रश्न घटनाएं हैं जो युग परिवर्तन के समय मी बहुत कम देखी जाती हैं। तुर्क स्वाभाविक रोसि पर प्राधा योरोप भोर पाधा एशिया में समाम रूप से घुसा हुआ है। यह तुक ही का धम था कि यह य्येप मै इतना पुस कर मो इतमे दिन सा कहर मुसलमान धना हा । जहाँ साई मत ने समस्न पृथ्या को मोर उन प्रायोन जातियों को जिन में एक भुर्फ भा थो अनायास होईपाई वसा लिया यहां तुर्कमे आचर्य जनक सस्परता से सैकडो मर्मम, च प्रमेज और अन्य पोरोपियम विशिष्ठ पुरुपों को इसलाम के मीधे खड़ा किया। केवल पहो नहीं-यह समस्त सलामो जगत का 1