पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/१४०

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1 ( १३१ ) है यह अब तक के पृथ्यो भर के पजनैतिफ नरषय के लिये पागल कर देने को काफी हैं। राजनीति यदि कहीं इन बुद्धि हुई है तो रूस के वर्तमाम विप्लप जोयम को देख कर हुई। राष्ट्र का इस प्रकार आगण साधारण नहीं । और यूरोप गर इसे भय की दृष्टि से देख रहा है। यदि श्राज सामाग्य वाद को कहीं सतरा है तो रूस की इस भागृप्ति से है। तुर्क को योरोप की संस्कृति में मिलने में बहुत कुछ सहायता यस्तु स्थिति मे की। जो योरोप के सहषास से पैदा होगई थी भोर जिसे विकुल ठीक कमाल पाशा मे समझ लिया था। परन्तु रूस का अपने को पशिया का मित्र कहना परम आवश्यक था। उसे योरोप के उस सत्ताधाद को मए करमा है जिसने पृथ्वी पर अन्धेर मचा रखा है और जो अपने अर्यवाद के नाम पर नीतिवाद की ज़रा भी परयाह मदर्दी फरसा । इस के सिवा उसे एशिया की फोट्यावधि प्रजा को उमस जागृत करना है। इस प्रकार जहां तुर्क ने प्रारमोदार के लिये योरोप की सभ्यता का प्राभय लिया है यहां कसने पशिया के उार के सदार संकल्प से अपने को पशिया फा मित्र घोषित किया है । परन्तु निकट भविष्य में इस अदभुत विप्रतियोगी सहयोग का यह फल होगा कि पृथ्वी पर से सत्ता के मष्ट होते ही योयेप और पशिया समान सहयोग में गुयेंगे। वर्ष अमेरिका दलित होगा। इसके कारण हम मागे पेश करेंगे। .