पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/१४१

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पियन राष्ट्र होते हुये भी एशियाई स्यभाष का प्रकार मी विसी एशिया के देश की तरह ही दख रहा था। परम ( १३० ) धार्मिक स्थलोफ़ा, धर्म का नेता, गुरु और सर्वेसर्वा बना रहा । वह खिलाफत और कट्टरता किस जादू के जोर स गत यो धर्षों मै तुर्फ के जीयन से हटी और सर्पया नष्ट मूष्ट दी गई इस की मिसाल इतिहास में दूदे नहीं मिल मकती अब केवल एक गम्भीर बात यह रहा है कि इस्लामा मत कट्टर वापता और दियाँ इस तरह छिन्न भिन्न करके और उस पर पूर्णतया योरोपियन सभ्यता का रंग चढ़ाने पर म तुर्क अपने को मुसलिम राष्ट्र घोषित कर रहा है भीर यदि यह मुसलिम राष्ट्र ही बना रहा तो दिनाव में कितन मी योरोपियन क्यों न बन जाय-बाह राजनीसिके नाते योरोप : कटर शधु औरणशयाका मित्रही बना रहेगा-इस में सन्देह नहीं श्रय रही बस की बात । स का भालू जिन लागों के जवान पर था ये अभी भरत में जीवित है-उस सम के मार में जितनी आसानी से सफल मान्सि की और मकेवर प्रजातन्त्र किन्तु एक पूर्ण विकसित प्रजातंत्र जैसा कि शापा रोमन और ग्रीस के उन्नत राजनीतिज्ञ एवं भारत के प्राचीन गणतंत्र भी न कर सके थे स्थापित कर लिया है। यह गूग आलसी और प्रसुप्त देश था । जो स्वेच्छाचारी राजा LI कुछ ही वर्षों में उसने जो स्वाधीनता की जागृत चेष्टाई. I