पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/१४२

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को गत ५० चपों से प्रति वर्ष लगभग १२ करोड रुपया दिया जाता हा है। इस समय व्यापार द्वारा सिर्फ गजेट को भारत म १० करोड ४० धार्षिक आय है। इस के सिवा अप्रेज अधिका रियों और गोरी फौजों को घेतम स्वरूप जिनकी सख्या एक सास के लगभग है ५० फरोड़ रूपया प्रतिवर्ष मिलता रहता है। ब्रिटिश गवर्नमेंट को भारत से बार्षिक माय सब मिलाकर । लगभग पौने दो अरब रुपया है। इस प्रकार गर को इस (समय सब मिला कर भारतवर्ष से ३२७ करोड़ र. वार्षिक प्राय है। सवा चार अरव रु० भारत पर जो फर्जा है-यह है ही-पयेक २० अरब २० गएर में जो पहुँम युका उस , का कोई साता महीं। गलेएट की पावादी सपा पार कपेट भादमियों की है। पुण्य देश को भारत से ३२७ करोड अर्थात् तीम परम रोड़ रुपया प्रतिय प्राप्त हो रहा है जिसकेोफत म्यप गएप भोर मगारों का देश प्रेट ब्रिटेम बना हुआ है। पतु भारत से इतनी महा मोटी आमदनी ही केवल र को महीं है। भोर मी बड़ी मारी सहायताए माप्त है से पड़ी सहायता सोमारतीय सैनिकों की है। जिनके बल समे मुद भारत को दी ज़रे किया है और गत१०० पास जोन, मिम, रूस, जर्मम, मेसोपोरामियाँ अरव और पृथ्यो