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7 1 © 1 इस से प्रथम या इस के काल में कम्पनी के कर्मचारियों मटिग वा क्राइष एवं फर्सकी इम्फे ने अपनी सफाई में गता सातवां अध्याय ब्रिटिश साम्राज्य में भारत का राजनैतिक और आर्थिक महत्व पलासी युस के बाद से बीसवीं शताब्दि के अन्त तक इगलैंड में भारत वर्ष से २० हजार क्रोस अर्थात् २० अरब रुपया मकद (इकानोमिस्ट, पत्र के सम्पादक के लेखानुसार पहुँच चुका है। जिस का स्थिर व्याज ५) सैकड़े की दर से श्रव तक १० अरख रुपया होना चाहिये। धूर्तता और भयानक अत्याचारों से जो बड़ी रकम यहाँ के गजानो, मघावों और ऐसों से वसूल की है, सथा अब मेंट और रिश्यतों में मिलती रही है उसका कोई हिसाब महीं पश क्यिा जा सकता । उसका अनुमान सस भयानक के को सहन करने से लगाया जा सकना जो वारन है। मार में सर्स किया था। इसके सिवा भारत के माम गलैंप का समग सवाबा प्रस रु० कर्जा है-जिस का सुख प्रति वर्ष भारत से इमली