पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/१४४

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? . ( १३३ ) को गत ५० वपी से प्रति वर्ष लगभग १२ करोड़ रुपया दिया जाता रहा है। इस समय व्यापार द्वारा सिर्फगर को भारत म २० करोर०पापिफ आय है। इसके सिधा अंग्रेज़ अधिका रियों और गोरी फौमों को घेसन स्वरूप जिनकी सरया एप लास के लगभग ५० करोड रुपया प्रतिवर्ष मिलसा रहता है। ब्रिटिश गवर्नमेंट को भारत से पार्पिक प्राय सब मिलाएर सगमग पौने दो भरख रुपया है। इस प्रकार इ गलैट को इस समय सब मिला कर भारतवर्ष से ३२७ फरोड. यार्षिष प्राय है। सवा चार प्ररय रु० भारत पर जो फर्जा है-यह ही-पयेत २० अरब २० गलएस में जो पहुँम पुषा उस का कोई साता नहीं। गलेपर की आबादी तया चार करोरा स तुच्छ देश को भारत से ३२७ फरोह अर्थात् २७ करोड़ रुपया प्रतिवर्ष प्राप्त हो रहा है। यह मगण्य भोर मगहरों का देश प्रेट ब्रिटेन वना परतु भारत से इसनी महा मोटी दंगल फोनही । मोर भी वटी मारी सा सब मेगड़ी सहायता तो भारतीय मैमिकों की पर उसने पुद भारत को ही जरे क्यिा है और पहपोन, मिम, स, जर्मन,