> 1 ( १३४ ) भर की शक्तियों को करता रहा है तथा एशिया में अपना मजबूत माम्राज्य स्थापित करने में मदद लेता रहा है, इस समय इ गलैंड के मैनिक विभाग में स्थाई साढ़े तीन लास्म सेमधिक भारतीय पुरुप हैं जो थुने हुए नययुषक हैं और जिन्हें पेट भरने मात्र घेतन मिलता है। तथा जिन्हें प्राक्षापालन के सिवाको फर्तव्य नहीं है और जो किसी आतीयता के भाव से नहीं- नमक हलालो के लिये चाहे जय पिना विचारे प्राण देने - को वाध्य है। गलैंट एक गन्दी अलवायु वाला छोटा छोप है । जहाँ सदा वर्षा पुहरा छाया रहता है। और इगलैंस भारत वर्ष से सम्बन्ध होने के समय एक मैला और दरिद्र देश था । उस समय के ईगलैंड की दशा का वणन बकिंघम नगर निवासी धर्नटिंग्स-कालेज केरेक्टर मि० जोजेफ मेकेय अपनी दिटुइथ- पद्राउट से फ्यूलर एज्युकेशन, मामक पुस्तक में लिखते हैं- "अाज से १०० वर्ष प्रथम लण्डन की६लाम की जनसख्या में ५० हजार घेश्या और कितनी ही बानगी ध्यभिचारिणी स्त्रियां थीं। प्रव ६० लाख की भाषादी में २० वाम घेश्याएं हैं। उस समय जूए का बड़ा प्रचार था। धनवानों के झुपे के भाई थे। और प्रत्येक मुघल्ले के कोने पर जुत्रा हुमा फरता था। स्पेष गणी खुले मे चबूतरों पर शराब बेची जाती थी, उस' समय शराब का लएरन मै पेसा प्रचार था कि शराप 1 1 धानों 1 +