पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/१४६

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(84) के मालिक खुलम खुला अपनी दुकान की खिड़कियों में नीचे लिने दंग का विज्ञापन लटका दिया करते थे- साधारण शराय मूल्य एफ पैम्स, येहोश कर दमे वाली शराब २ पंग्स, साफ सुथरी घटाई मुफ्त । अर्यात येहोश होने पर लेटने के लिये चटाई के पैसे नहीं लिये जाते थे। उस समय भारत के मगर कैसे थे । कासिम बाजार का वर्णन करती घार स्वर्गीय घएडी चणा सेन मे लिखा है। 'गत दिन मनुष्यो से भराप्रणी वगाल की प्रधाम पाखिज्य मागारथी की गंगा एवम् जलंगी माम की दो मदियों से परि- वाहित, उस समय का कासिम पाज़ार मगरी का यथार्य गोरव माज कल्पमा को भी परास्त करता है, दूर २ देशों के माना पेशधारी अस व्य अंग्रेज, फपसीसी, भामिमियन, व्यापारियों को आकाशम्पर्शी अट्टालिकाए, भागीरथी के वक- स्थल पर भासमान अस रूय जहाज ल्याम २ पर विक्री के माज के पदाट समान देर, मदी के तटों पर अगद २ माल के गुदाम, बहुस एपक देश में के फारसाने, देशी 'मुल्लाहों की वपडों को मामा के सामने चित्र विचित्र रंग के लटफते हुये रेशमी वस्त्र सर्वदा कासिम बाज़ार की अभूत पूर्व शोभा को पहात है। काम कामो लोगों का कलरव, दलों का तेजी से भाना जाना, मिन २ देशीय पिलास प्रिय लोगों के सुचारु F 3