पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/१४७

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घल्ली दूर परिच्छद, और पेश विलास, अर्थ खोलुप व्यापारियों की भर्यो पार्जनार्थ विविध चेष्टा एवं एक दूसरे के प्रति प्रयञ्चमा मूलक व्यवहार मनुष्यों के ममकी घोर विषय शक्ति को परिचय देते थे। रात्रि में नदी पार्श्वस्य प्रालिकाओं में जलती हुए दीपा से देखने वालो को तारागया के समाम दिखाई पारतो यो । समया होने पर अंग्रेज। छायमी में अंग्रेजी बाजे, पार्श्वती ग्रामों में बसमे पाले जुलाहो और अन्य वैष्णषों के फरों की नही और करताल ध्वनि, भागीरथी के कल कल शव के साथ मिल कर एक अपूर्व सुमधुर सगीत से सर्व स्थान को परिपूर्ण करती थी। और प्रोसो को मुग्ध करती थी। । यह महा नगरी फैसे विलुप्त हो गई-से स्वर्गीय से महाशय विपाद में पूर्ण होकर कहते हैं। "यह मनोहर दृश्य सौ वर्ष पूर्ण होते जल्दी से घिलोप हो गया। कुकार्य रत रमणी के योषन की तरह, पासिम पाजार नगरी का गौरव घोड़े ही काल में नष्ट हो गया। भाज यह मगरो उजास खरहरों का करणा पूर्ण मावा शिष्ट है। इसी प्रकार मुर्शिदाबाद का वर्णन , स्वयं पखाव ने किया है- ।