पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/१५३

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जाधन का पास कुछ मिर्मर अग्रेजी साम्राज्य के रूपर पा तिष्मत और नेपाल पर पड़ेगा। यद्यपि इन पर सामाज्य, हाने से प्रयम हो उसका रहस्य मोल देता है । १६वीं शताण के अन्तिम भाग में इगलैण्ड ने साम्राज्य विस्तार की भार कदम उठाया था । १७ वीं शताब्दि भर यह उसी मार्ग पर अनथक चलता रहा। १८ वी शताब्दि में उसे जो महान पुन स्कार मिले । उसे जगत जानता है । दूसरे और तीसरे जाई का काल उस सामान का गुदाम है जिस से यह प्रबल साम्राज्य स्थापित हुश्रा परन्तु यह साम्राज्य-क्या भाकर पुष्ट हो रहा है तथा किस आधार पर जोयस है और उस का स्वमाय और गति क्या है । इस पर विचार करना है। प्रेर ब्रिटेन के सामाज्य के दो मुख्य विभाग हैं। एफ भारत दूसर अन्य उपनिवेश । और यह पास तो स्पष्ट है कि ब्रिटेम * साम्राज्य बहुत कुछ इन से पा रहा है । परन्तु इन के सिब जिम देशों को प्रक्षा सतात्मक राज्य प्राप्त है उन के भीतर लम्वित है, यवि अमेरिका के स युफ राज्य से युम कि ? उसका प्रभाष कोटा भोर मस से शिष्ट तो अफगानिस्ता दूर का दो प्रभाष है । परन्तु एक वटी-कठिनाई जो शुरू। से ब्रिटेम के सम्मुख है यह साम्राज्यान्तर्गत प्रत्येक पश' नैतिफ एक्य मे पर करने की है। यह कठिनाई भारत में में भी पड़ जाती है, ओ अमेक जावियों और समुदायों का शिक