पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/१५८

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( १४७) पर से अपना राजनैतिक प्रभुत्व त्याग भी सकता है पर आर्थिक प्रमुस्व नहीं त्याग सकता। हम इस अध्याय के प्रारम्भ में ही बता चुके हैं कि यह स्वार्थ साधारण नहीं है। अंग्रेजो ने प्रारम्भ में कभी भारत पर राजनैतिक प्रमुख 3 की बात भी म सोची थो, शुरु मे फ्रेन्चों से सामना करने या - कमी २ कोठियों की रक्षा करने को उन्हों ने शस्त्र वन्द पल पनाये थे, जो उस अराजफ और लुटेरों से भरपूर पाता । चय्या में स्यामाधिक था। परन्तु पारम हेस्टिंग्स के कार्यकाल के अन्तिम समय तक मी अंग्रेजों को प्रमाफी फरयाण कामना को परया म थी । पद अवस्था गदर तक दी। रेल तार की प्यषस्या क साथ व्यापार में सुविधाएं हुइ । व्यापार यहुत पड़ गया और यह तेजी से बढ़ता ही जा रहा है। पम्हर्षी रासाठि में पता लगाये मुपे देशों के धम के लिये ही पब्धिमी राज्यों की प्रसि छन्दता भी है। अमेरिका और भारत में अंग्रेजों के व्यापारिक निवास स्थान थे और दोनों ही जगह फूांस उसका प्रतिद्वम्मी था । अमेरिका में जैसे इग्लैण्ड का न्यू इग्बन्ह और वर्जीमिया माँस प्रफेटो और कनाष्ठा के पिस्ट यी उसी प्रकार भारत में मद्रास, पम्वा, कलकत्ता, और धम्बई के मुकाविले पारी घेरो, चन्द्रनगर और माही कुन स्थान थे। दोनो स्थानों में फ्रांस के साथ ही ग्लेख के पुर हुये। दोनों