पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/१७८

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अल्के अशान्ति की आग ने भी इस में रसो गर भी कमा न होने दी। इस का कारण यह था कि मुसलमान वावशाह बादशाह थे, व्यापारी महीं थे। उम्हों ने हमारे देश को स्वदश बना लिया था। उसके जो तुम थे ये उनकी धर्मान्यता क कारण थे-उमको शिक्षा प्रोर अभ्यास यैसा ही था। उन सुक्नों को हम नोचना पूर्ण नहीं कह मक्ते र अपश्य कह सकते हैं। सो मनमा से उनके राजस्व का नाश हुभा । परन्तु अंगरेजों के जहाँ जहाँ पर पड़े शिल्प और व्यागर पर षज्राघात हुश्रा । यद्यपि अंगरेज-माति कुटिल है. पर व्यापार और शिल्प को माश करने को इसने क्रूरता कामी अवलंब लिया, इतनो फरता जितनो मुसलमानों में भी न थी । उम फी फरता में यमयिरा था शाखाशा की भी गलत समझी थी, पर इन को कप्ता मे माच स्यार्य और घृणित उद्देश्य था। To । पद माना जायगा कि अंग्रेजों में अध्ययसाय और सहम शोक्षवा तथा दूढ़ता के उदाहरण दिसाये, पर फिस लिये' किसी दीनको रक्षा के लिये महीं, किसी धार्मिक मामले में नहीं, इस के छप्पर में सापने के लिये । प्रथम प्ररय के गधार घ्या पारियों को मार कर भगाया, स्वयं प्राहक बनें, घोगा मुसा की और पीछे खरीदो वस्तुओं का नमूना बमा कर के गये और मन्त में बल छह विशाम मोर सत्ता के शोर पर देश को प्राम H