1 ( Pus) शिक्षा नहीं पाई। और इनमें १६, ८०, ५३१ तो पढ़ भी महीं सकतं ये। यदि ये आंकड़े याद दिये जाये तो २०, २७, ५५५ ही बच्चे ऐसे बचते हैं जिन्हें कुछ फाम की शिक्षा मिल रही है और यह फो सेका ३ उतरती है जो अत्यन्त भयानक है। ५५ लाख विद्यार्थियों की शिक्षा के लिपे जितमा धन खर्च किया जाता है यह समुद्र में फेक देने के बराबर है। १९१५ के अंत में स्कूल जाने योग्य अवस्था के फीसैफ २४ नरके स्कूलों में पढ़ते थे। १९१३९० में भारत-सरफार मे विद्यार्थियों की संख्या ५५ लाख बताई। इतमा काम ५ यों में हुआ था। वर्मा का यह गणना १-५४९० से की गई है। जब सर चावल उद ने शिक्षा-सम्बन्धी खरीता मेशा था और जिसके फल- स्वरूप शिक्षा विभाग पना था । सन् १८७०६० में प्रेट ब्रिटेन पसूफेशन एफ्ट पास हुआ। उस समय गलैंड में शिक्षा को यही अवस्था थी मो भाज दिन भारत में है । गलेस में १३३ से शिक्षा के प्रगर के लिये धन की सहा- यता मुख्य कर घन' स्कूलो को दो जाने लगी । १७० और १८८१ क मोर शिक्षा शुल्क-रहित और अनिवार्य की गई और १२ वर्षों में ही प्रोसत फी सका ४२.३ से बड़फर प्रायः सी में १०० हो गया। इस समयगर और येल्स की ४ फरोड फी वस्ती में स्कूलों में जामे धाने बों की संख्या