पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/१९५

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3 1 फर में वृद्धि हो रही है । अमी जैसा फहा गया है-२५ वर्षा ( १८० ) सदी १५ प्रजा को वैध, हकीम देशी पद्धति से बहुत ही सस्ते मे आरोग्य-दान करते हैं। फिर भी वह उनको योग्य बनाने यो और कोई सहायता देने में धरावर लापरवाही दिलाती रही है। वैज्ञानिक स सार वरावर ऐलोपैथी को अप्राकृत, भ्रान्त और स्वास्थ्य-रक्षा में असमर्थ साबित कर रहा है, पर सर- फार उसा पर प्रजा की जान और स्वास्थ्य का सत्तरदायित्व मॉप कर निश्चात यैठो है कृषि की पात और भी गम्भीर है। १९११ की मनुष्य गणना में २१ करोड़, ८३ लाख किसान बताये गये हैं। किसानों की भयंकर दरिद्रता की बात सभी पर विदित है । सर दीन : शाह याचा उनके दिमा दिन पढ़ते ऋणा-भार पर गत २० वर्षा से बराबर चिल्लाते रहे है वो भी श्रण बढ़ने के साथ ही साथ में माल गुजारी में = फयेर रुपये बढ़े है। इसके सिधा स्था मिक कर नमक प्रादि पर और भी कितने ही कर है। ममक का कर गरीब लोगों को यहुत पहे कष्ट का कारण है। पिछले बजट में १० लाख रुपये पढ़ाया गया था। इस दरिद्रता का अवश्यम्भावी परिणाम यह हुमा है कि लोगों को पुरे खाप गाने पड़ते हैं जिसके कारण उनकी जीयम शक्ति कम होगा है और घे रोगों का सामना नहीं कर सकते। उनकी माय. पौण हो गई है और बालों की मृत्यु-संख्या बहुत बढ़ गई